एक वर्ष बाद भी सुखना नहीं घोषित हो पाई नोटीफाई वैटलैंड

Monday, Feb 18, 2019 - 01:41 PM (IST)

चंडीगढ़ (विजय) : सुखना लेक के संरक्षण के लिए मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमैंट, फॉरैस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के निर्देशों पर पिछले साल फरवरी में चंडीगढ़ प्रशासन ने वैटलैंड अथॉरिटी का गठन तो कर दिया लेकिन अधिकारियों के पास मीटिंग करने का समय नहीं है। यही वजह है कि अथॉरिटी के गठन को एक वर्ष बाद भी सुखना लेक को नोटिफाई वैटलैंड घोषित नहीं किया जा सका। एक साल में अथॉरिटी की एक ही मीटिंग हो पाई है। अथॉरिटी की दूसरी मीटिंग में सुखना लेक को नोटिफाई वैटलैंड घोषित करने पर मोहर लगनी है। मगर न तो मीटिंग फिक्स हो पा रही है और न ही शहर के सबसे व्यस्त टूरिस्ट स्पॉट के भविष्य को लेकर कोई ठोस प्लानिंग  प्रशासन कर पा रहा है।

 अथॉरिटी ने पहली मीटिंग में एक टैक्नीकल कमेटी गठित की थी लेकिन अभी तक यह कमेटी भी अथॉरिटी के सामने सुझाव नहीं रख पाई है। दूसरी मीटिंग के बाद जो भी फैसला होगा उसके आधार पर रिपोर्ट तैयार करके  वैटलैंड अथॉरिटी के सामने पेश की जाएगी। अथॉरिटी में चंडीगढ़ के प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर भी शामिल है। अथॉरिटी से अप्रूवल मिलने के बाद सभी जरूरी नियम सुखना लेक पर लागू कर दिए जाएंगे। फिलहाल जो रिपोर्ट कमेटी ने बनाई है उसमें मिनिस्ट्री की ओर से जारी किए गए सभी नियम शामिल किए हैं।

सात फरवरी को शैड्यूल्ड थी मीटिंग
सुखना को नोटीफाई वैटलैंड घोषित करने के लिए एक मीटिंग 7 फरवरी को भी रखी थी। मीटिंग में फैसला होना था वैटलैंड घोषित होने के बाद किन कामों को प्रतिबंधित किया जा सकता है लेकिन अधिकारियों ने मीटिंग के लिए समय नहीं दिया जिस कारण न तो मीटिंग हो पाई और न ही दूसरी के लिए तारीख तय हुई।

1992 में प्रशासन ने वैटलैंड घोषित किया था
प्रशासन ने 1992 में सुखना लेक को वैटलैंड घोषित किया था। हालांकि तब प्रशासन ने यह फैसला अपने स्तर पर लिया था लेकिन मिनिस्ट्री की नजरों में उस नोटीफिकेशन की कोई वैल्यू नहीं है। इस कारण आ रही परेशानियों का कोई ठोस तरीके से समाधान नहीं निकल पा रहा है। मिनिस्ट्री की ओर से नोटिफाई वैटलैंड घोषित होने के बाद लेक को बेहतर तरीके से संरक्षित किया जा सकेगा। सुखना की संरक्षण के लिए अथॉरिटी द्वारा एक ग्रीवांस रिडै्रसल सैल बनाया जाएगा, जहां लोग अपनी शिकायतें भी दे सकते हैं। इन शिकायतों का निवारण करने के लिए डेड लाइन भी फिक्स की जाएगी। लेक के आसपास अतिक्रमण को कंट्रोल में रखने के लिए नियम तय किए जाएंगे। लेक की मैंटीनैंस के लिए इंजीनियरिंग विभाग की जिम्मेदारी फिक्स की जाएगी। 

bhavita joshi

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