कोर्ट को गुमराह करना पड़ा महंगा: बीमा कंपनी को लगाई 50000 रुपए कॉस्ट

Thursday, Nov 25, 2021 - 01:12 PM (IST)

चंडीगढ़, (रमेश हांडा): बजाज अलियांज लाइफ इन्श्योरैंस कम्पनी और उसकी वकील को कोर्ट को गुमराह कर लाभ लेने की नियत से रिवीजन पटीशन दाखिल करना महंगा पड़ गया। पंजाब स्टेट कंज्यूमर रिड्रेसल कमीशन की प्रेजीडैंट कोर्ट ने कम्पनी की वकील और याची पक्ष को लताड़ लगाते हुए 50000 रुपए कॉस्ट लगते हुए रिवीजन पटीशन रद्द कर दी। याची पक्ष को 2 सप्ताह के बीच जुर्माने की राशि कमीशन के कंज्यूमर ऐड फंड में जमा करवाने के आदेश दिए हैं।


कम्पनी को क्लेम के एक मामले में गुरदासपुर की डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम ने एक्स-पार्टी करार देते हुए याची राकेश कुमार के हक में फैसला सुना दिया था। 4 फरवरी, 2020 को एक्स-पार्टी करार दिए जाने को चुनौती देते हुए कंपनी ने वकील रुपाली की मार्फत 9 नवम्बर को 547 दिन के डिले कन्डोनेशन के साथ रिवीजन पटीशन दाखिल कर जिला कंज्यूमर फोरम गुरदासपुर में उन्हें अपना पक्ष रखने की अनुमति दिए जाने की मांग की थी। पटीशन के साथ कंपनी ने एफिडेविट भी दिया था।

वर्ष 2020 में भी खारिज की थी रिवीजन पिटीशन 
जस्टिस दया चौधरी पर आधारित प्रधान बैंच ने सुनवाई के दौरान पाया कि कमीशन के रिकॉर्ड में कंपनी की ओर से इसी मामले में वर्ष 2020 में भी रिवीजन पिटीशन दाखिल की गई थी जिसे कमीशन ने 2 नवम्बर, 2020 को खारिज कर दिया था। कानूनन एक बार रिवीजन पिटीशन खारिज होने पर पुन: रिवीजन पिटीशन दाखिल नहीं की जा सकती है।
कोर्ट ने याची पक्ष की वकील से इस संबंध में सवाल किए तो वह पहले रद्द पटीशन की जानकारी नहीं दे पाई।

वकील ने एफिडेविट देकर कोर्ट को बताया कि पहले किसी दूसरे वकील ने पटीशन दाखिल की थी जिसका उसे नहीं पता। कोर्ट ने कहा कि वकील बेशक बदल गया हो, लेकिन कम्पनी को इस बारे सब पता था फिर भी एफिडेविट के माध्यम से कोर्ट को गलत जानकारी देकर गुमराह कर लाभ लेने का प्रयास किया गया। जस्टिस दया चौधरी ने याची पक्ष और वकील को जमकर फटकार लगाई और कहा कि कोर्ट के साथ लुका छिपी का खेल खेलने की कोशिश नहीं की जा सकती और न ही कोर्ट को अंधेरे में रखते हुए फायदा उठाया जा सकता है।

Ajesh K Dharwal

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