पंजाब में 40 प्रतिशत बच्चों को नहीं मालूम कब बदलें टूथब्रश

punjabkesari.in Wednesday, Jun 14, 2017 - 09:34 AM (IST)

चंडीगढ़ (पाल): ओरल हैल्थ हाइजीन को लेकर बच्चे कितने जागरूक हैं इसका अदांजा इसी से लगाया जा सकता है कि पंजाब में 40 प्रतिशत बच्चों को यह नहीं मालूम कि टूथब्रश कब बदलना चाहिए। पी.जी.आई. कम्यूनिटी मैडीसिन व ओरल हैल्थ विभाग की रिसर्च में सामने आया है कि 63 प्रतिशत बच्चे दिन में सिर्फ एक बार ही ब्रश करते हैं। पी.जी.आई. के स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ ने स्कूली बच्चों में डैंटल हाइजीन, फ्लोरोसिस (दांत कमजोर होना) व डैंटल कैरीज की जांच के लिए 400 स्कूली बच्चों पर रिसर्च की है। इसमें 8 से 15 वर्ष तक के बच्चे शामिल किए, जिन्हें 8 से 11 व 11 से 15 वर्ष के दो ग्रुपों में बांटा था। लिए गए सैंपल साइज में सामने आया है कि 36.5 प्रतिशत बच्चे दांतों में कीड़ा लगने की समस्या से परेशान है। साथ ही सामने आया कि बच्चों मे डैंटल केयर को लेकर ज्यादा अवेयनैस नहीं है। पिछले 12 माह में सिर्फ 9 प्रतिशत बच्चों ने ही डाक्टर विजिट किया है। 


 

च्यूइंग गम पहुंचा रही नुक्सान 
रिसर्च में सामने आया कि स्कूल बच्चे हफ्ते में एक बार जंक फूड खाते हैं लेकिन इस कारण उन्हें दांतों में परेशानी नहीं आ रही है लेकिन बच्चे रोजाना जैम, गुड़, चीनी व च्यूइंग गम खा रहे हैं। इन सब में च्यूइंग गम बच्चों के दांतों को ज्यादा नुक्सान पहुंचा रही है। साथ ही दिन में एक की बजाय दो बार ब्रश करने वाले बच्चों में फ्लोरोसिस का खतरा कम देखने को मिला। दांतों के लिए मिनिमल मात्रा में फ्लोराइड (मिनरल) अहम होता है। दांतों में इसकी मात्रा कम या ज्यादा होने पर दांतों को नुकसान पहुंचने लगता है। स्टडी में पता चला कि 78.8 प्रतिशत बच्चे फ्लोराइड पेस्ट प्रयोग करेत हैं, जिस कारण सैंपल साइज में लिए गए बच्चों में से 4 प्रतिशत को ही फ्लोरोसिस की समस्या थी जबकि 9.3 प्रतिशत में फ्लोरोसिस होने की आंशका थी। साथ ही 96 प्रतिशत बच्चों में फ्लोरोसिस की कोई समस्या नहीं थी। 


 


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