केयर न होने से म्यूजियम में रखी 300 डॉल्स की चमक हो रही कम

Friday, Jun 14, 2019 - 10:08 AM (IST)

चंडीगढ़ (वैभव): भारत के टॉप म्यूजियमों में शुमार शहर का इंटरनैशनल डॉल म्यूजियम सैक्टर-23 अब इंटरनैशनल डॉल्स के लिए तरस रहा है। यहां इंटरनैशनल लेवल की गुडिय़ों  का अभाव है और साथ ही जिन गुडिय़ों का संग्रह मौजूद है उनमें से कई का ध्यान भी नहीं रखा जा रहा है। 

 

यहां विभिन्न देशों की करीब 300 गुडिय़ों का संग्रह होने का दावा किया जाता है लेकिन इस दावों की हकीकत कुछ और ही है। अब इस म्यूजियम को ध्यान से देखा जाए तो यहां से कई देशों की गुडिय़ां गायब है। 

 

यह म्यूजियम टूरिस्ट के लिए भी घूमने की अच्छी जगह है लेकिन म्यूजियम में गुडिय़ों के अभाव और खस्ताहाल से आने वाले टूरिस्ट भी यहां आने से परहेज करने लग गए हैं। म्यूजियम में जो गुडिय़ां फिलहाल मौजूद हैं उनका ख्याल भी सही तरह से नहीं रखा जा रहा है। इसी वजह से कई गुडिय़ों की हालत खस्ता हो चुकी है। 

हालांकि संग्रह में कई गुडिय़ां ऐसी भी हैं, जो यहां आने वाले लोगों को बहुत आकर्षित करती हैं। इसके अलावा इनमें से कई ऐसी भी हैं जिनकी न तो साफ-सफाई की जाती है और न ही ख्याल। मीटिंग में व्यस्त होने के कारण म्यूजियम डायरैक्टर राधिका से संपर्क नहीं हो सका। 

 

दिखाए गए हैं कई ऐतिहासिक प्रसंग
बच्चों के लिए बनाया इस म्यूजियम में सीताहरण, राम, लक्ष्मण और सीता का वनवास जाना को गुडिय़ों के माध्यम से दिखाया गया है। इसके अलावा गुरु नानक देव द्वारा सच्चा सौदा, भगवान कृष्ण द्वारा माखन चुराने आदि जैसी ऐतिहासिक बातों को गुडिय़ों का रूप देख की सजाया गया है।

रोमानिया, थाईलैंड सहित कई देशों की गुडिय़ां गायब
बता दें कि म्यूजियम में 23 देशों की गुडिय़ों को संजोया गया था और इनकी संख्यां यहां पर करीब 300 थी। अगर अब म्यूजियम में घूमा जाए तो कई जगह पर खाली बॉक्स नजर आएंगे। रोमानिया, थाईलैंड, नॉर्थ अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के अलावा कई देशों की गुडिय़ां जहां अब नहीं दिख रही है। 

 

34 वर्ष पहले बना था 
सिटी ब्यूटीफुल में इंटरनैशनल डॉल म्यूजियम को साल 1985 में चंडीगढ़ प्रशासन और चंडीगढ़ रोटरी क्लब के सहयोग से बनाया गया था। यह म्यूजियम बाल भवन सैक्टर-23 में बना हुआ है, जो शहर के लगभग बीचोबीच है। 

 

इसी वजह से यहां पहले बहुत लोग और पर्यटक घूमने के लिए आया करते थे। म्यूजियम को बनाने का उद्धेश्य ही यही था कि वह लोगों को दूसरे देशों की संस्कृति की झलकी गुडिय़ों द्वारा मिल सके।

pooja verma

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