अंबाला में बनने वाले रिंग रोड के विस्तार के लिए जमीन अधिग्रहण को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज

punjabkesari.in Monday, Aug 28, 2023 - 09:30 PM (IST)

चंडीगढ़,(रमेश हांडा): अम्बाला में बनने वाले रिंग रोड की देखरेख और संचालन के लिए बनने वाली बिल्ंिडग के लिए अधिग्रहण की गई जमीन के खिलाफ मालिकों की ओर से दाखिल हुई सभी याचिकाएं हाईकोर्ट ने खारिज कर दी हैं। कोर्ट ने सभी 6 याचिकाकत्र्ताओं पर 25 -25 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है जोकि पी.जी.आई. में आने वाले गरीब मरीजों के इलाज के लिए बने खाते में जाएगा।

 

 


याचिककात्र्ताओं में कुर्वे एजुकेशन ट्रस्ट भी शामिल था, जिसे अधिग्रहण की गई जमीन का सरकार ने सी.एल.यू. भी जारी कर दिया था। ट्रस्ट की अपील थी कि उन्हें चेंज ऑफ लैंड यूज की अनुमति मिल चुकी है। ऐसे में कानूनन उनकी जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता। कोर्ट के समक्ष याची पक्ष ने कई तर्क रखे, जिनमें अम्बाला में सेना के आयुध भंडारों का हवाला भी दिया गया और कहा गया कि अगर आयुध भंडार के निकट से रिंग रोड निकलेगा या देखरेख के लिए इमारत बनाई जाती है तो यह देश और लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा होगा। नैशनल हाईवे अथॉरिटी व अन्य प्रतिवादियों के वकीलों की ओर से सेना, नौसेना, नैशनल हाईवे अथॉरिटी व डिफैंस मिनिस्ट्री के सचिव के बीच इस विषय को लेकर हुई विस्तृत चर्चा के बाद ही नैशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को उक्त प्रोजैक्ट की अनुमति डिफैंस मिनिस्ट्री की ओर से दी गई है। 

 

 


पर्यावरण को होने वाले नुक्सान का भी जिक्र किया गया
बैठक में तीन पहलुओं पर सहमति बानी थी कि आयुध भंडार के लिए नए आधुनिक भंडारण बनाए जाएंगे जोकि अंडर ग्राऊंड हो सकते हैं। या उक्त भंडार को किसी दूसरे सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाएगा। उक्त कार्य के लिए खर्च कौन करेगा, इसके लिए सभी प्रतिवादियों की एक कमेटी का गठन किया गया है, जिसके सुझावों पर कार्य किया जाना है। याची पक्ष की ओर से प्रोजैक्ट की प्लानिंग और पर्यावरण को होने वाले नुक्सान का भी जिक्र किया गया। कोर्ट ने आदेशों में कहा है कि नैशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की योजनाओं को उनके अनुभवी इंजीनियर और आर्कीटैक्ट की फाइनल करते हैं। इसके अलावा पर्यावरण सहित अन्य सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए भी अनुभवी लोग मौजूद रहते हैं इसलिए कोर्ट उनकी काबिलियत पर संदेह नहीं कर सकती। न ही तकनीकी रूप से कोर्ट कोई टिप्पणी ही करने की क्षमता रखती है। कोर्ट याचिककात्र्ताओं को इससे पहले मिली राहत के विषय में कहा कि परिस्थितियां बदलने के साथ-साथ जरूरतें भी बढ़ती हैं और उन्हें देखते हुए निर्णय लेने पड़ते हैं। हो सकता है कि उस वक्त की परिस्थितियां याची के पक्ष में हों। 
 

 

 

 

जमीन अधिग्रहण की नोटिफिकेशन रद्द करने की कोई ठोस वजह नहीं
कोर्ट ने कहा कि याचिककात्र्ताओं की ओर से दिए गए तर्कों में  कोई ठोस वजह कोर्ट को नजर नहीं आई कि जमीन के अधिग्रहण की नोटिफिकेशन रद्द की जाए या याची पक्ष को कोई राहत दी जानी चाहिए इसलिए सभी याचिकाएं खारिज करने के अलावा कोर्ट के पास कोई विकल्प नहीं है। जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर पर आधारित बैंच ने सभी याचिककात्र्ताओं को 25 25 हजार रुपए जुर्माना भी किया है जोकि पी.जी.आई. के पुअर पैशेंट फंड में जमा करना होगा।
 


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Sub Editor

Ajay Chandigarh

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