137 करोड़ के अमरूद मुआवजा घोटाले में 38.12 करोड़ लौटे सरकारी खजाने में

punjabkesari.in Sunday, Oct 01, 2023 - 09:30 PM (IST)

चंडीगढ़,(रमनजीत): एक अरब 37 करोड़ रुपए के अमरूद बाग मुआवजा घोटाले के संबंध में विजीलैंस ब्यूरो की जांच व कार्रवाई शुरू होने के बाद से अब तक तकरीबन 38 करोड़ 12 लाख 33 हजार 355 रुपए वापस पंजाब सरकार के खजाने में पहुंच चुके हैं। गलत ढंग से लिए गए उक्त मुआवजे को सरकारी खजाने में वापस जमा करवाने के संबंध में अदालतों द्वारा 47 आरोपियों को आदेश दिए गए थे, जिनमें से 25 मुआवजा धारकों ने मुआवजा राशि वापस जमा करवा दी है, जबकि बाकी 13.96 करोड़ रुपए जमा करवाने के लिए 22 लोगों द्वारा अभी कार्रवाई पूरी नहीं की गई है। विजीलैंस ब्यूरो की कानूनी जकड़ का ही असर था कि मामले में प्रमुख भूमिका निभाने वाले तत्कालीन गमाडा अधिकारियों ने भी सेंक लगने के बाद गलत ढंग से हासिल की मुआवजा राशि सरकारी खजाने में जमा करवा दी है।

 

 


ध्यान रहे कि वर्ष 2022 की शिकायत नंबर 707 की जांच में कई तरह के तथ्य हाथ लगने के बाद विजीलैंस ब्यूरो एफ.एस.-1 द्वारा 2 मई 2023 को यह मामला दर्ज किया गया था। मामले में विजीलैंस ब्यूरो द्वारा आई.पी.सी. की धारा 409, 420, 465, 466, 468, 471, 120-बी, 201 एवं भ्रष्टाचार उन्मूलन एक्ट की धारा 13(1), 13(2) लगाई गई हैं। 2016-17 के दौरान ग्रेटर मोहाली एरिया डिवैल्पमैंट अथॉरिटी द्वारा गमाडा के एरोट्रोपोलिस रैजीडैंशियल प्रोजैक्ट के लिए गांव बाकरपुर, रुड़का, छत्त, सफीपुर, नरैणगढ़, मटरां, मनौली, सिऊं, पत्तों, सैणी माजरा व चौ गांवों की कुल 1651.59 एकड़ जमीन के अधिग्रहण का प्रोसैस शुरू किया था।
 

 

 

मुआवजा हासिल करने वाले उच्चाधिकारियों के संपर्क में थे 
विजीलैंस की जांच में खुलासा हुआ कि कुछ मुआवजा हासिल करने वाले, जो कि जमीन को अधिग्रहण किए जाने के फैसले के जानकार गमाडा में तैनात उच्चाधिकारियों के संपर्क में थे और उन्हें अधिग्रहण प्रोसैस के इस नुकते की भी अच्छी-खासी जानकारी थी कि जमीन अधिग्रहण के वक्त फलदार पेड़ों के मुआवजे के लिए अलग से आंकलन होगा। ऐसे लोगों ने अपने स्तर पर या फिर ग्रुपों में इकट्ठे तौर पर अधिग्रहण की जाने वाले इलाके में पड़ती जमीनें खरीदना शुरू कर दिया ताकि अधिग्रहण एक्ट के विभिन्न प्रावधानों का तिकड़में लगाकर अधिकाधिक फायदा उठाया जा सके। इसके साथ ही आरोपी मुआवजा धारकों ने अपने द्वारा खरीदी गई अधिग्रहण होने वाली जमीनों पर पंजाब सरकार के राजस्व विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करके 2016 के गिरदावरी रिकॉर्ड को ही बदलवा दिया, जिसमें उक्त जमीनों पर अमरूद के बाग दिखाए, जिनमें लगे पेड़ों की उम्र 4 या 4 वर्ष से अधिक दर्ज करवाई गई। इसका कारण यह रहा था कि अमरूद के पेड़ जल्दी फल देने लगते हैं और अधिग्रहण मुआवजा देने के लिए गणना करते वक्त अगले 20 वर्ष में फलदार पेड़ों से होने वाली कमाई का आंकलन किया जाता है।
 

 

 

 

जिन लोगों से जमीनें खरीदी, उन्होंने बयान दिए कि जब जमीन बेची तो कोई पेड़ नहीं लगे थे
हॉर्टीकल्चर विभाग के कर्मचारियों से सांठगांठ करके उक्त बागों की असैसमैंट करवाई गई, जिसमें प्रति एकड़ 2 से अढ़ाई हजार पेड़ प्रति एकड़ की रिपोर्ट तैयार की गई, जिससे यह तय किया गया कि मुआवजाधारकों को अधिक से अधिक मुआवजा मिल सके। हालांकि सरकारी रिकॉर्ड बदलवाकर यह दर्ज करवा दिया गया था कि उक्त जमीनों पर बीते 4-5 वर्ष पुराने अमरूदों के बाग लगे हुए थे, जबकि विजीलैंस जांच में सामने आया है कि जिन लोगों ने 2018 व 2020 के दौरान उक्त जमीनें इन लोगों को बेची थीं, उन्होंने स्पष्ट तौर पर बयान दिए हैं कि जब उन्होंने जमीनें बेची थीं, उस वक्त उक्त जमीनों पर कोई भी ऐसे पेड़ नहीं लगे थे। विजीलैंस ब्यूरो की जांच में सामने आया कि ऐसा करके आरोपियों ने अधिगृहीत होने वाली कुल भूमि में से 198 एकड़ भूमि पर अमरूदों के बाग दिखाकर गलत तरीके से 1 अरब 37 करोड़ 18 लाख 48 हजार 543 रुपए का मुआवजा हासिल कर लिया। इसमें से 180 एकड़ भूमि सिर्फ गांव बाकरपुर से ही जुड़ी हुई है।
 

 

 

 

99 आरोपी, जिनमें 11 सरकारी मुलाजिम
विजीलैंस ब्यूरो द्वारा अब तक की गई जांच में कुल 99 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें से 11 सरकारी मुलाजिम हैं। खास बात यह है कि इस 137 करोड़ के मुआवजा घोटाले के वक्त गमाडा में उच्च पद पर तैनात रहे आई.ए.एस. अधिकारी राजेश धीमान की पत्नी का भी नाम आरोपी के तौर पर दर्ज है, जबकि मुआवजा हासिल करने वालों में कुछ अन्य आई.ए.एस. अधिकारियों के पारिवारिक सदस्यों के भी नाम शामिल हैं। 


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Sub Editor

Ajay Chandigarh

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