एक करोड़ का चैक बाऊंस, आर्या टोल इंफ्रा का पार्किंग ठेका कैंसल

punjabkesari.in Tuesday, Feb 19, 2019 - 10:04 AM (IST)

चंडीगढ़(राय): शहर में 25 पेड पार्किंग चलाने वाली कंपनी आर्या टोल इंफ्रा लिमिटेड का निगम को दिया गया बकाया राशि का एक करोड़ रुपए का चैक बाऊंस हो गया है। नगर निगम ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए आर्या टोल इंफ्रा लिमिटेड का ठेका रद्द कर दिया है। अब नगर निगम 25 पेड पार्किंग अपने हाथ में ले लेगा। इसके लिए नगर निगम ने पूरी तरह से सूची तैयार कर ली है। मंगलवार सुबह से नगर निगम सभी पेड पार्किंग का पजेशन अपने हाथ में ले लेगा। पार्किंग ठेका रद्द किए जाने के साथ ही निगम ने कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को लेकर एस.एस.पी. को भी लिख दिया है। 

निगम ने अपने अकाऊंट में टोल इंफ्रा का दिया एक करोड़ का चेक शुक्रवार को अपने अकाऊंट में डलवा दिया था लेकिन सोमवार तक नगर निगम के अकाऊंट में राशि नहीं आई और यह पता चला कि जो चैक नगर निगम ने आर्या टोल इंफ्रा को अपने अकाऊंट में लगाया था वह बाऊंस हो गया। यह पहले से ही तय था कि यदि सोमवार तक नगर निगम के अकाऊंट में राशि नहीं आएगी तो पेड पार्किंग का ठेका रद्द हो जाएगा। 

कंपनी ने शपथ पत्र में दिया था अदायगी का भरोसा
कंपनी को पार्किंग ठेके की 2.87 करोड़ की किस्त 8 फरवरी तक नगर निगम में जमा करवानी थी लेकिन कंपनी ने यह रकम जमा नहीं करवाई। अब दोबारा कंपनी के अधिकारियों ने एडीशनल कमिश्नर तिलक राज को शपथ पत्र दिया था। इसमें कहा गया था कि शुक्रवार को एक करोड़ रुपए जमा करवा देंगे। शपथ पत्र में यह भी कहा गया था कि चैक बाऊंस नहीं होगा। आर्य टोल इंफ्रा लिमिटेड को नगर निगम के पास 25 दिसम्बर 2018 को 3.69 करोड़ रुपए ठेके के तिमाही किस्त के रूप में जमा करवाने थे। इसमें से कंपनी ने अब तक 1.17 करोड़ रुपए ही जमा करवाए हैं। ड्यू डेट पर राशि जमा करवाने पर एक सप्ताह का ग्रेस पीरियड मिलता है लेकिन अब गे्रस पीरियड भी समाप्त हो चुका है। निगम ने कंपनी को 7 जुलाई 2018 को भी ठेका रद्द करने का नोटिस दिया था। 

ब्लैक लिस्ट में डालने की प्रक्रिया शुरू  
पेड पार्किंग का ठेका रद्द किए जाने के साथ ही निगम ने कंपनी को ब्लैक-लिस्ट में डालने जाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी। निगम ने यह कार्रवाई ब्लैक-लिस्ट की पॉलिसी के अनुसार करने का निर्णय लिया है। वहीं, निगम के अतिरिक्त आयुक्त तिलक राज के मुताबिक कंपनी से शेष राशि ब्याज सहित बैंक गारंटी से वसूली जाएगी, अगर इसके बाद भी राशि बकाया रह जाती है तो ठेकेदार से वसूली जाएगी। निगम ने अपने आदेश में माना कि कंपनी को बकाया चुकाने के लिए पर्याप्त मौके दिए गए थे लेकिन हर बार समय पर पैसा चुकाने में कंपनी विफल रही। हर बार ठेकेदार एक आदतन ऑफेंडर नजर आया, जो कि पोस्ट डेट के चैक और शपथ पत्र उपलब्ध करवाता रहा, जोकि समय निकालने के  पैंतरे दिख रहे थे।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

bhavita joshi

Recommended News

Related News