आपको जब्री विमान से नहीं उतार सकती विमान कम्पनियां? ये है वजह

Sunday, Apr 16, 2017 - 12:24 PM (IST)

मुम्बई: देसी एयरलाइंस कंपनियों ने यात्रियों को प्लेन से उतारते वक्त कभी यूनाइटेड एयरलाइंस जैसी हरकत नहीं की लेकिन पिछले साल करीब 15,000 यात्रियों को सफर करने से वंचित कर दिया। इस मामले में जैट एयरवेज अव्वल रहा। पिछले साल ऐसे हरेक 4 यात्रियों में से 3 ने जैट एयरवेज के टिकट बुक किए थे। भारत में हर साल यात्रियों को प्लेन से उतारने की घटनाओं का अनुपात वैश्विक औसत से कम है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल 10 देसी एयरलाइंस कंपनियों ने 9.98 करोड़ यात्रियों को सफर करवाया। इनमें 15,675 यात्रियों को या तो प्लेन पर चढऩे ही नहीं दिया गया या चढऩे के बाद उन्हें उतार दिया

क्या हैं नियम
डी.जी.सी.ए. सिविल रिक्वायरमैंट, सैक्शन 3 सिरीज एम.ए. पार्ट 4 में प्लेन पर सवार होने से रोकने और इस हालत में मुआवजे से संबंधित नियम हैं। विदेशी एयरलाइन कंपनियां अपने देश के नियमों के अनुसार मुआवजा देती हैं। इसके मुताबिक एयरलाइन कंपनी को यात्री को प्लेन से उतरने के लिए राजी करने की कोशिश करनी चाहिए और इसके लिए उचित लाभ देने की पेशकश की जानी चाहिए।अगर यात्री को उसकी मर्जी के खिलाफ  प्लेन पर चढऩे से रोका जाता है और कंपनी एक घंटे के अंदर उड़ान भरने वाली किसी दूसरी फ्लाइट में उसका टिकट बुक कर देती है तो उसे यात्री को कोई मुआवजा नहीं देना होगा।

अगर दूसरी फ्लाइट 24 घंटे के अंदर उड़ान भरने वाली हो तो प्लेन से उतारे गए यात्री को एक तरफ  की यात्रा के मूल किराए का 200 प्रतिशत और 10,000 रुपए तक फ्यूल चार्ज देना पड़ सकता है। अगर दूसरी फ्लाइट 24 घंटे के बाद उड़ान भरने वाली हो तो कंपनी की ओर से यात्री को मूल किराए का 400 प्रतिशत और 20,000 रुपए तक का फ्यूल चार्ज मिलेगा। अगर यात्री दूसरी फ्लाइट से नहीं जाना चाहता है तो उसे टिकट के मूल किराए का 400 प्रतिशत और 20,000 रुपए तक का फ्यूल चार्ज जरूर मिलना चाहिए।

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