Whatsapp पर मैसेज कर पता लगा सकेंगे दवा असली है या नकली?

Friday, May 25, 2018 - 12:34 PM (IST)

नई दिल्लीः कई जगहों पर दवाईयां नकली मिलती हैं इन नकली दवाइयों के चलते मरीजों के परेशानी का समाना करना पड़ता है। जल्द ही मरीज एक वॉट्सऐप मेसेज से पता लगा सकता है कि जो दवाई खरीदी है वो नकली है या असली। इसके लिए फार्मा कंपनियां अगले 3 महीनों में अपने सबसे ज्यादा बिकने वाली उत्पादों पर यूनीक कोड प्रिंट करने वाली हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने पहचान जारी नहीं करने की शर्त पर बताया कि इस कदम से टॉप 300 दवा ब्रैंड्स की नकल से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी।



'ट्रेस एेंड ट्रैक' प्रस्ताव को मंजूरी
ड्रग टेक्नीकल एडवाइजरी बोर्ड ने 16 मई को 'ट्रेस एंड ट्रैक' के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। कंपनियां इस पहल से स्वैछिक तौर पर जुड़ सकती हैं। प्रस्ताव के मुताबिक टॉप 300 दवा ब्रांड पर 14 डिजिट का यूनिक नंबर प्रिंट किया जाएगा। ये नंबर दवा की हर स्ट्रिप और बॉटल पर अलग होगा। साथ ही उस पर कंपनी का दिया हुआ मोबाइल नंबर भी छपा होगा।



मरीज जो दवा खरीदेगा उस पर से 14 डिजिट का नंबर कंपनी के मोबाइल पर व्हाट्सएप कर उस दवा की जानकारी ले सकेगा। मैसेज करने पर मरीज को दवा बनाने वाली कंपनी, पता, बैच नबंर मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी की तारीख का पता चल जाएगा।

नकली दवाओं का पता लगाने में भी मदद 
सरकारी अधिकारी ने बताया, 'इससे खरीदारों को भरोसा होगा कि उन्होंने जो दवा ली है वह असली है और उसकी गुणवत्ता को लेकर भी वे निश्चिंत हो पाएंगे। इसके साथ ही जांच अधिकारियों को मार्केट में बिक रहीं नकली दवाओं का पता लगाने में भी मदद करेगी।' 



3 फीसदी दवा घटिया 
इस ट्रैक और ट्रेस मैकेनिज्म के लिए 300 ब्रांड का चयन उनकी मार्केट साइज के हिसाब से किया जाएगा। अभी इन प्रोडक्ट की लिस्ट बनाई जा रही है। फार्मा कंपनियां अभी इस पर और सफाई का इंतजार कर रही हैं। इंडियन फार्मा अलायंस के डीजी शाह ने कहा कि 300 ब्रांड के प्रोडक्ट करोड़ों में होगे। देखना ये होगा कि इसकी लॉजिस्टक को किस तरह डिजाइन किया जाता है। 2014-16 में किए एक सर्वे के मुताबिक देश में बिक रही 3 फीसदी दवा घटिया है।

jyoti choudhary

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