ऊर्जा संकट व धीमी वैश्विक मांग की मार झेल रहा है बांग्लादेश कपड़ा उद्योग

Saturday, Aug 13, 2022 - 01:31 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः दुनिया में कपड़ा उद्योग का दूसरे नंबर का निर्यातक बांग्लादेश इन दिनों दोहरी मार से जूझ रहा है। एक तरफ बांग्लादेश क्षेत्र व्यापी ऊर्जा संकट से परेशान हैं। वहीं अब कपड़ा निर्यात के आर्डर भी कम हो रहे हैं। कपड़ा उद्योगपति व व्यवसायियों का मानना है कि पिछले तीन सालों में वर्तमान में सबसे बड़ी बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि बांग्लादेश ने तरलीकृत प्राकृतिक गैस को खरीदना बंद कर दिया था। वह अब लंबी अवधि की आपूर्ति के लिए रणनीति बना रहा है। क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध से प्राकृतिक ऊर्जा संकट पैदा हुआ।

विश्व में चीन के बाद बांग्लादेश दूसरे नंबर का कपड़ा निर्यातक है जो अब ऊर्जा संकट के साथ धीमी वैश्विक मांग की मार झेल रहा है। फैशन ब्रांड टॉमी हिलफिगर की मूल कंपनी पीवीएच कॉर्प और इंडिटेक्स एसए की जारा के आपूर्तिकर्ता प्लमी फैशन लिमिटेड के जुलाई महीने के नए ऑर्डर पिछले साल के मुकाबले 20 प्रतिशत कम हो गए हैं। इसका असर बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग में काम करने वाले अधिकारी कर्मचारियों पर भी पड़ रहा है।

बाजारों में टाला जा रहा तैयार माल का शिपमेंट

यूरोपीय और अमेरिकी दोनों बाजारों में खुदरा विक्रेता तैयार उत्पादों के शिपमेंट को टालने लगे हैं। वहीं कई व्यवसायी तो ऑर्डर में भी देरी कर रहे हैं। निर्यात स्थलों में मुद्रास्फीति बढ़ने से इसका गंभीर असर भी दिखने लगा है।

ऑर्डरों के घटना अब देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक सिद्ध हो सकता हैं क्योंकि परिधान उद्योग सकल घरेलू उत्पाद का दस प्रतिशत से अधिक माल तैयार करता है। जिससे 4.4 मिलियन लोगों को रोजगार मिलता है। इसीलिए अधिकारी व्याप्त ऊर्जा संकट से निपटने के लिए ईंधन भंडार को संरक्षित करने और बिजली कटौती का सहारा ले रहे हैं।

तीन घंटे तक जेनरेटर पर रहना पड़ता है निर्भर

ऊर्जा संकट ने अब व्यवसाय करने की लागत काफी बढ़ा दी है। आपूर्ति करने वाले प्रमुख निर्यातक स्टैंडर्ड ग्रुप लिमिटेड, गैप इंक और एचएंडएम हेनेस एंड मॉरिट्ज एबी बांग्लादेश के बाहरी इलाके में अपनी रंगाई और धुलाई इकाइयों को चलाता है। कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक दिन में कम से कम तीन घंटे जेनरेटर पर निर्भर रहना पड़ता है।

राष्ट्रीय ग्रिड की बिजली से तीन गुना महंगा पड़ता है जेनरेटर

कंपनियों के अधिकारियों ने बताया कि जेनरेटर की लागत तीन गुना महंगा पड़ रही है। डीजल महंगा होने के चलते जेनरेटर की आपूर्ति राष्ट्रीय ग्रिड से मिलने वाली बिजली से तीन गुना महंगी पड़ती है। बिजली की कमी से रंगाई-धुलाई इकाई बंद नहीं रख सकते। इसके बंद रहने से कपड़ा उद्योग बर्बाद होने की कगार पर पहुंच जाएगा।

खर्च कटौती में कपड़ा भी रहेगा 

रेनेसां कैपिटल के वैश्विक मुख्य अर्थशास्त्री चार्ली रॉबर्टसन ने कहा है कि कपड़ा एक विवेकाधीन वस्तु है। यदि यूरोप में ऊर्जा बिल बढ़ रहा है तो विवेकाधीन खर्च में कटौती करनी होगी। इन क्षेत्रों में से कपड़ा भी एक उत्पाद होगा, जिसके खर्च कटौती का लोग निर्णय लेंगे।

दक्षिण एशियाई राष्ट्र का परिधान उद्योग में कारोबार गिरनी की बात को शुरुआत में नकारा जाता रहा है। जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले पांच वित्तीय वर्ष में जून 2020 तक कपड़ों के निर्यात में कारोबार सबसे नीचे 27.95 बिलियन डॉलर तक गिर गया। जून समाप्त होने तक परिधान निर्यात रिकार्ड 42.6 बिलियन डालर पर पहुंच गया। जो कुल निर्यात का 82 प्रतिशत है।
 

jyoti choudhary

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