श्रमिकों की मजदूरी दोगुनी होने के आसार

Monday, Sep 04, 2017 - 09:54 AM (IST)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार देश में न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण करने के मौजूदा फार्मूले में बदलाव करने पर विचार कर रही है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर श्रमिकों का दोगुना वेतन होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण में बदलाव करते हुए श्रमिक की पत्नी के अलावा उसके माता-पिता और 2 बच्चों को अलग-अलग इकाई के रूप में शामिल करने पर विचार कर सकता है। फिलहाल न्यूनतम मजदूरी का फार्मूला 3 इकाई श्रमिक, पत्नी और 2 बच्चों पर आधारित है। 2 बच्चों को एक इकाई माना जाता है, यानी कि श्रमिक को कम से कम इतनी मजदूरी मिलनी चाहिए जिसमें 3 व्यक्तियों का भरण-पोषण हो सके। प्रस्तावित फार्मूले के अनुसार इसमें माता-पिता को 2 इकाई और 2 बच्चों को 2 अलग-अलग इकाइयों के तौर पर शामिल किया जा सकता है। इस तरह से न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण 6 इकाइयों के आधार पर किया जाएगा।

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 47 उद्योग क्षेत्रों के श्रमिकों पर ही लागू  
न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 में यह निर्धारण कृषि और गैर-कृषि श्रमिकों के लिए होता है। यह अधिनियम 47 उद्योग क्षेत्रों के श्रमिकों पर लागू होता है जिसमें कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि हाल में पुनर्गठित किए केंद्रीय न्यूनतम मजदूरी परामर्श बोर्ड की बैठक में की गई इस सिफारिश पर एक समिति का गठन किया जा रहा है जो इससे संबंधित सभी पक्षों पर विचार करेगी। बोर्ड की बैठक लगभग 7 वर्ष के अंतराल पर आयोजित की गई थी। बोर्ड की पिछली बैठक 2010 में आयोजित की गई थी। भारतीय मजदूर संघ समेत कई श्रमिक संगठनों ने न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण फार्मूले में बदलाव करने की मांग करते हुए कहा है कि 1948 का अधिनियम आधुनिक समय के जीवन की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है और इसमें परिवर्तन की आवश्यकता है।

कल्याणकारी योजनाएं 2 बच्चों के लालन-पालन पर आधारित
मजदूर संगठनों का कहना है कि सरकार की कल्याणकारी योजनाएं 2 बच्चों के लालन-पालन पर आधारित हैंऔर माता-पिता देखभाल कानून के आने के बाद आश्रित माता-पिता की देखभाल करना, उनका भरण-पोषण करना और उनको उचित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना प्रत्येक संतान का कानूनी उत्तरदायित्व है इसलिए न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण में 2 बच्चों को अलग-अलग इकाई और माता तथा पिता को इकाई के रूप में अनिवार्य तौर पर शामिल किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार ने पिछले साल गैर-कृषि क्षेत्र के श्रमिकों की मजदूरी 9100 रुपए प्रति माह की थी। प्रस्तावित फार्मूले के अनुसार श्रमिकों का वेतन 18 हजार रुपए प्रति माह से अधिक हो जाने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार जल्दी ही राज्यों को भी न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण में बदलाव करने के लिए बोर्ड का गठन करने को कह सकती है। इससे देश भर में एक समान वेतन का निर्धारण करने में मदद मिलेगी।

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