महानगरों में 8 से 10 घंटे काम करती हैं महिलाएं

Monday, Mar 06, 2017 - 10:06 AM (IST)

नई दिल्ली: महानगरों में काम करने वाली 70 पर्सैंट महिलाएं एक घंटे का सफर तय करने के बाद अपने कार्यालय पहुंच कर 8 से 10 घंटे तक काम करती हैं। ये महिलाएं कम से कम 30 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अपने ऑफिस पहुंचती हैं। कामकाजी जिंदगी और निजी जिंदगी के बीच तालमेल बिठाने की कोशिश में महानगरों की सड़कों को नापती ये महिलाएं अक्सर अपने ही स्वास्थ्य को दाव पर लगा देती हैं। पी.एच.डी. चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सर्वेक्षण के मुताबिक सफर में इतना लंबा समय गंवाने के बावजूद 64 पर्सैंट कामकाजी महिलाओं ने अपने काम के प्रति पूर्ण या सामान्य संतुष्टि जताई।

रिपोर्ट से यह बात भी सामने आई है कि आफिस के काम के दबाव के बावजूद 84 पर्सैंट महिलाएं हर दिन अपने 2 से 4 घंटे घरेलू कामकाज पर देती हैं। हालांकि अधिकतर महिलाओं का कहना है कि उन्हें घर के कामकाज में परिवार के अन्य सदस्यों से कोई मदद नहीं मिलती है जिससे यह पता चलता है कि अब भी समाज में यही धारणा है कि घर संभालने की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की है। करीब 49 पर्सैंट महिलाओं का कहना है कि उन्होंने घर के काम के लिए किसी को काम पर रखा हुआ है। इस वर्ष जनवरी-फरवरी के बीच दिल्ली, मुम्बई, बेंगलूर, कोलकाता तथा चेन्नई में लगभग 5000 कामकाजी महिलाओं तथा गृहिणियों का सर्वेक्षण करके यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार 
महिलाएं अपने स्वास्थ्य की वजह से अवकाश लेती हैं। इनमें से करीब 41 पर्सैंट ने लिया ठंड-जुकाम और बुखार की वजह से अवकाश। महिलाओं ने दर्द खासकर सिरदर्द और पीठ दर्द की वजह से छुट्टी ली। महिलाएं अपनी इन्कम का 10 पर्सैंट से भी कम हिस्सा अपने स्वास्थ्य पर खर्च करती हैं। कुछ महिलाएं सिर्फ ऐसी थीं जो 40 पर्सैंट से अधिक इन्कम अपने स्वास्थ्य पर खर्च करती हैं। कामकाजी महिलाओं का कहना है कि उनके ऑफिस में क्रच की सुविधा है। 
महिलाओं के पास घर से ही ऑफिस का काम करने की सुविधा है।

यह भी पाया गया कि शादी व बच्चे के जन्म के बाद और परिवार में किसी के बीमार होने की स्थिति में अधिकतर महिलाएं घर से ही ऑफिस का काम करती हैं। करीब 58 पर्सैंट महिलाएं निजी अस्पतालों पर सरकारी या स्थानीय क्लीनिक की बजाय अधिक भरोसा करती हैं। रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि 69 पर्सैंट कामकाजी महिलाओं के पास बीमारी पर सैलरी सहित अवकाश लेने की सुविधा है। करीब 37 पर्सैंट ने कहा कि उन्हें 3 से 6 माह तक का मातृत्व अवकाश दिया गया है। बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में 83 पर्सैंट महिलाओं का कहना है कि उनके कार्यालय में महिलाओं के लिए अलग से शौचालय है। सिर्फ 27 पर्सैंट का कहना है कि उनके ऑफिस में महिला चिकित्सक तथा डिस्पैंसरी की सुविधा भी है। 

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