जल्द मिलेंगे कटहल के बिस्कुट ,चाकलेट और जूस

Monday, Jun 10, 2019 - 05:02 PM (IST)

नई दिल्लीः बाजार में जल्द ही कटहल के बने बिस्कुट, चाकलेट और जूस मिलना शुरु हो जाएगा जो पूरी तरह से प्राकृतिक होगा। भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान बेंगलुरु ने देश में पहली बार कटहल से बिस्कुट, चाकलेट और जूस तैयार करने में सफलता हासिल की है जिसे जल्दी ही बाजार में उतार दिया जाएगा। संस्थान के निदेशक एम आर दिनेश ने बताया कि कटहल के पके फल से बिस्कुट, चाकलेट और जूस तैयार किए गए हैं। 

कटहल का जूस पूरी तरह से प्राकृतिक है जिसमें न तो चीनी का प्रयोग किया गया है और न ही जूस को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए किसी रसायन का उपयोग किया गया है। कटहल से तैयार बिस्कुट गजब का है। मानव स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखते हुए इसमें चालीस प्रतिशत मैदे के स्थान पर कटहल के बीज के आटे का उपयोग किया गया है। मैदा के प्रयोग से बिस्कुट में रेसे की मात्रा बहुत कम या नहीं के बराबर होती है जबकि कटहल बीज के आटे के मिश्रण से इसमें रेशे की मात्रा पर्याप्त हो जाती है। 

बिस्कुट में कटहल के गुदे से तैयार पाउडर, मशरुम, मैदा,चीनी, मक्खन और दूध पाउडर मिलाया गया है। इसी तरह से चाकलेट में कटहल के फल का भरपूर उपयोग किया गया है। इसमें चाकलेट पाउडर का भी उपयोग हुआ है। डा. दिनेश ने बताया कि किसानों को प्रोत्साहित करने की योजना के तहत देश में कटहल की सिद्धू और शंकर किस्म का चयन किया गया है जिसमें लाइकोपीन भरपूर मात्रा में होता है। इन दोनों किस्मों का फल पकने पर ताम्बे जैसा लाल होता है तथा उसका वजन ढाई से तीन किलोग्राम तक होता है। उत्तर भारत में कटहल का फल पकने पर पीला या पीलापन लिए सफेद रंग का होता है। इसका फल पांच किलो से 20 किलोग्राम तक होता है।

फलों और सब्जियों के संबंध में मशहूर है कि जो जितना रंगीन होगा वह उतना ही पौष्टिक भी होगा लिहाजा सिद्धू और शंकर का फल कटहल की अन्य किस्मों की तुलना में अधिक स्वास्थ्य वर्द्धक है। इसमें प्रति 100 ग्राम में 6.48 मिलीग्राम विटामिन सी होता है और लाइकोपीन 1.12 मिलीग्राम होता है। इसमें मिठास 31 ब्रिक्स है। कर्नाटक के तुमकुर जिले के किसान एस एस परमेशा ने सिद्धू किस्म को संरक्षित कर रखा है।   

jyoti choudhary

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