कमजोर रुपया, बढ़ती लागत से फास्फोरस, पोटाश विनिर्माताओं पर बढ़ सकता है दबाव

Tuesday, Dec 11, 2018 - 04:25 PM (IST)

 

मुंबईः घरेलू यूरिया उद्योग में स्थिरता बने रहने की संभावना है। हालांकि, चालू वित्त वर्ष के दौरान ‘पी एंड के’ (फास्फोरस और पोटाश) कंपनियों के प्रदर्शन को लेकर जो अनुमान व्यक्त किए गए हैं उनमें दबाव बढ़ सकता है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। कच्चे माल की बढ़ती लागत और कमजोर रुपए से इन कंपनियों के प्रदर्शन पर दबाव बढ़ सकता है।

रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा है कि पी एंड के विनिर्माता कच्चे माल की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर हैं और हाल ही में रुपये में गिरावट और फॉस्फोरिक एसिड की कीमतों में वृद्धि के परिणामस्वरूप इनकी लागत बढ़ी है। उन्हें अपनी इस लागत को अंतत: किसानों पर डालना पड़ सकता है। एजेंसी के मुताबिक, 'हालांकि, कुछ इलाकों में कमजोर मानसून के कारण कई कंपनियों को डीलरों को अधिक छूट देनी पड़ी। साथ ही, लागत वृद्धि का बोझ आगे नहीं डालने से उनकी लाभप्रदता भी प्रभावित हुई। पर्याप्त मानसून वाले इलाकों काम करने वाली पी एंड के विनिर्माता कंपनियों को हालांकि, मुनाफे पर प्रभाव कम रहने का अनुमान है।'

इस बीच, दीर्घावधिक विकास दर के साथ यूरिया की मांग 2-3 प्रतिशत बढऩे की उम्मीद है। इसलिए, संशोधित निश्चित लागत मुद्दे पर समय से किया गया हस्तक्षेप, निकट अवधि में यूरिया कंपनियों के अप्रैल 2014 से लंबित वास्तविक नकद भुगतान (31 मार्च, 2018 को 4,500 करोड़ रुपए) का मामला, निकट अवधि में महत्वपूर्ण निगरानी योग्य विषय रहेगा। इस भुगतान के कारण इन कंपनियों में से कई की वित्तीय स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार होगा। इसके अलावा, बढ़ती प्राकृतिक गैस की कीमतों के परिणामस्वरूप यूरिया कंपनियों के लिए सब्सिडी बढ़ रही है। इक्रा ने कहा, उर्वरक बिक्री में वित्त वर्ष 2018-19 में अब तक अच्छी वृद्धि हुई है। इसमें मात्रा के लिहाज से कुल मिलाकर 6 प्रतिशत वृद्धि रही है। यूरिया की बिक्री सालाना तीन प्रतिशत की दर से बढ़ी है और अगले चार वर्षों में भारत लगभग 75 लाख टन क्षमता को जोड़ेगा जो आयात पर निर्भरता को कम करेगा।
 

jyoti choudhary

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