पिछली तारीख से कर विवाद के निपटान के लिए योजना एक जून से

Sunday, Mar 20, 2016 - 05:16 PM (IST)

नई दिल्ली: सरकार वोडाफोन तथा केयर्न एनर्जी समेत अन्य कंपनियों से संबद्ध पिछली तारीख से कर विवाद के निपटान के लिए एक जून से एक बारगी पेशकश शुरू करेगी। इस संबंध में मूल कर का भुगतान करने तथा ब्याज एवं जुर्माने से छूट के नियम बनने के बाद यह पेशकश की जा रही है।  

 

सरकारी सूत्रों ने बताया कि योजना के क्रियान्वयन के लिए बनाए गए नियम सरकारी राजपत्र में जल्दी ही अधिसूचित किए जाएंगे। सूत्रों के अनुसार योजना एक जून को शुरू होगी और यह खुली सतत योजना नहीं होगी। योजना की आखिरी तारीख के बारे में बाद में राजस्व विभाग निर्णय करेगा।  

 

संसद द्वारा वित्त विधेयक 2016 को 25 अप्रैल से शुरू बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद की मंजूरी के बाद योजना का ब्यौरा जारी किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार कम्पनियों को योजना का लाभ उठाने के लिए उन्हें इस बारे में सबूत देना होगा कि उन्होंने जो मध्यस्थता या अन्य कोई भी कार्रवाई शुरू की है, उसे उन्होंने वापस ले लिया है।   

 

योजना का लाभ उठाने वाली कंपनियों को विशेष प्राधिकरण द्वारा भुगतान की जाने वाली राशि के निर्धारण के बाद 30 दिनों के भीतर मूल राशि देनी होगी। साथ ही घोषणा के अनुरूप भुगतान की गई राशि किसी भी परिस्थिति में लौटाई नहीं जाएगी। एक बार नियम बनने के बाद इसमें किसी भी प्रकार के संशोधन के लिए इसे संसद के समक्ष रखा जाएगा।

 

वित्त मंत्री अरुण जेतली ने अपने बजट भाषण में आयकर कानून में पिछली तारीख से संशोधन के कारण कर मांग का सामना कर रही कंपनियों के लिए विवाद निपटान के लिए एक बारगी योजना की घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘‘वे केवल बकाए कर का भुगतान कर मामले का निपटान कर सकते हैं। इसमें उन्हें ब्याज एवं जुर्माने से छूट मिलेगी।’’ जहां वोडाफोन 2007 में हचिसन वाम्पोआ के भारत में दूरसंचार कारोबार के 11 अरब डॉलर में अधिग्रहण को लेकर 14,200 करोड़ रुपए की कर मांग का सामना कर रही है, वहीं केयर्न एनर्जी से 2006 में आंतरिक कारोबार पुनर्गठन को लेकर कथित पूंजी लाभ पर कुल 29,000 करोड़ रुपए का भुगतान करने को कहा गया है। दोनों कम्पनियों ने कर मांग को चुनौती दी है और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता शुरू की है।  

 

सूत्रों के अनुसार सरकार का विचार है कि मध्यस्थता में न केवल समय लगेेगा बल्कि सरकार पर काफी खर्चा भी आएगा और साथ ही नाम अलग खराब होगा।  इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर निपटान योजना का प्रस्ताव किया गया है। 

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