सब्जियों के दाम 45% तक घटे, पकने से पहले ही किसान कर रहे तुड़ाई

Tuesday, May 30, 2017 - 02:21 PM (IST)

नई दिल्लीः सब्जियों की आपूर्ति में भारी बढ़ौतरी के कारण पिछले दो सप्ताह के दौरान इनके दाम 45 फीसदी तक कम हुए हैं। अत्यधिक गर्मी और मॉनसून सीजन शुरू होने से पहले बारिश के आसार के चलते किसान बड़ी मात्रा में सब्जियां खराब होने को लेकर चिंतित हैं, जिससे वे पकने से पहले ही सब्जियां तोड़ रहे हैं और मंडियों में ला रहे हैं। सरकारी स्वामित्व वाले राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एन.एच.बी.) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले दो सप्ताह के दौरान दिल्ली की थोक मंडी में भिंडी की कीमतों में सबसे ज्यादा 45 फीसदी की गिरावट आई है। इसके दाम घटकर 10.75 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गए, जो 12 मई को 19.50 रुपए प्रति किलोग्राम थे।

खुदरा बाजारों में भी घटी हैं कीमतें
सब्जियों की कीमतें केवल थोक मंडियों में ही नहीं बल्कि खुदरा बाजारों में भी घटी हैं। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के मुताबिक मुंबई और चेन्नई के खुदरा बाजारों में करेले के दाम पिछले 15 दिनों के दौरान क्रमश: 25 और 27 फीसदी घटे हैं। महाराष्ट्र समेत प्रमुख उत्पादक राज्यों में भीषण गर्मी के कारण सब्जियों में नमी की मात्रा कम हुई है, जिससे सब्जियां जल्द खराब हो रही हैं। इससे खराब हो जाने वाली सब्जियों की मात्रा बढ़ी है।

पकने से पहले सब्जियां तोड़ रहे हैं किसान
भारतीय सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष श्रीराम गाढवे ने कहा, 'इस वजह से किसान 75 से 80 फीसदी पकने वाली सब्जियां ही तोड़ ले रहे हैं। इसका मतलब है कि वे इनके पूरी तरह पकने का इंतजार नहीं करना चाहते हैं। हालांकि उन्हें दाम पकी हुई सब्जियों की तुलना में कम मिल रहे हैं।' किसानों की इस हड़बड़ी के कारण मंडियों में सब्जियों की आपूर्ति बढ़ गई है, जिससे थोक मंडियों में आने वाली हरी सब्जियों की मात्रा में भारी इजाफा हुआ है। एन.एच.बी. के आंकड़ों से पता चलता है कि अहमदाबाद की थोक मंडी में फूलगोभी की आवक 128 फीसदी बढ़कर 98 टन हो गई है।

सड़क पर डालनी पड़ती है उपज
वाशी कृषि उपज विपणन समिति (ए.पी.एम.सी.) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'फूलगोभी, भिंडी और टमाटर जैसी सब्जियां बहुत जल्द खराब होती हैं और इन्हें बारिश और भीषण गर्मी से बचाव की जरूरत होती है। दोनों ही स्थितियों में ये सब्जियां बहुत ज्यादा खराब होती हैं। ऐसा कई बार हो चुका है, जब किसानों को लागत से कम दाम मिलने के कारण अपनी उपज सड़कों पर डालनी पड़ी। इसलिए कुछ दाम मिलना जरूरी है भले ही सब्जियों को पकने से पहले ही क्यों न तोड़ने पड़े।'

Advertising