छोटे किसानों तक पहुंचती है मात्र 35 फीसदी यूरिया सब्सिडी

Saturday, Feb 27, 2016 - 05:16 PM (IST)

नई दिल्लीः सरकार यूरिया पर 50300 करोड़ रुपए की सालाना सब्सिडी देती है जो खाद्यान्नों के बाद किसी भी मद में दी जाने वाली सबसे ज्यादा है लेकिन इसका मात्र 35 प्रतिशत ही छोटे किसानों तक पहुंच पाता है। यूरिया देश में सबसे ज्यादा उत्पादित और सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला उर्वरक है। साथ ही इस पर सब्सिडी भी किसी अन्य उर्वरक के मुकाबले कहीं ज्यादा दी जाती है। 

 

वित्त वर्ष 2015-16 में सरकार ने उर्वरकों पर 73000 करोड़ रुपए की सब्सिडी देने का प्रावधान किया था जिसमें 50300 करोड़ रुपए यूरिया के मद में दी गई थी। इसमें मात्र 17500 करोड़ रुपए की सब्सिडी का लाभ छोटे किसानों तक पहुंच पाता है।  संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 में कहा गया है कि जरूरत से ज्यादा सरकारी नियंत्रण के कारण यूरिया पर मिलने वाली सब्सिडी गलत हाथों में पहुंच रही है। इस सब्सिडी का 3 प्रकार से दुरुपयोग हो रहा है। कुल सब्सिडी का 24 प्रतिशत खस्ताहाल यूरिया संयंत्रों में उत्पादन जारी रखने पर खर्च होता है। 

 

विडंबना यह है कि जो उत्पादक कंपनी जितनी खस्ताहाल है उसे उतनी ज्यादा सब्सिडी दी जाती है। शेष सब्सिडी का 41 प्रतिशत कालाबाजारी के जरिए गैर-कृषि कार्यों और तस्करी में चला जाता है। चूंकि, सिर्फ कृषि कार्य वाले यूरिया पर सब्सिडी मिलती है इसलिए कृषि कार्य के नाम पर इसकी खरीदी कर कालाबाजारी के जरिए इसे दूसरे कार्यों के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके बाद जो यूरिया बच जाता है उसका 24 प्रतिशत अमीर किसानों को चला जाता है और इस प्रकार गरीब किसानों को मात्र 17500 करोड़ रुपए की सब्सिडी का लाभ ही मिल पाता है। 

 

सर्वेक्षण के अनुसार, बड़े किसान अपनी रसूख के दम पर सब्सिडी वाला यूरिया पाने में सफल रहते हैं जबकि छोटे किसान ब्लैक मार्कीट से ऊंचे दाम पर इसे खरीदने को मजबूर होते हैं। 

Advertising