केंद्रीय कैबिनेट के बड़े फैसलेः रेलवे कर्मियों को बोनस, ई-सिगरेट पर बैन

punjabkesari.in Wednesday, Sep 18, 2019 - 04:04 PM (IST)

नई दिल्लीः नरेंद्र मोदी सरकार ने रेल कर्मचारियों को 78 दिनों का बोनस देने का फैसला किया है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने ई-सिगरेट को पूरी तरह से बैन कर दिया है। मोदी कैबिनेट ने आज कई कई अहम फैसले लिए। केंद्र सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस बार रेलवे के 11 लाख 52 हजार कर्मचारियों को 78 दिन का बोनस दिया जाएगा। इस पर रेलवे को 2024 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसके साथ ही मोदी सरकार ने ई-सिगरेट और ई-हुक्का पर बैन लगा दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि ई-सिगरेट के उत्पादन, निर्यात, आयात, बिक्री, परिवहन, भंडारण और विज्ञापन पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने के लिए अध्यादेश लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि संसद के अगले सत्र में इस संबंध में विधेयक पेश किया जाएगा। 

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सीतारमण ने बताया कि देश में ई-सिगरेट का विनिर्माण नहीं होता है और यहां बिकने वाली सभी ई-सिगरेट आयात की जाती है। इस समय देश में 150 से ज्यादा ‘फ्लेवर' में 400 से ज्यादा ब्रांड के ई-सिगरेट बिक रहे हैं। ये गंधरहित होते हैं और इसलिए ‘पैसिव स्मोकर' को पता भी नहीं चलता और उसके शरीर में भी भारी मात्रा में निकोटीन पहंचता रहता है। 

नियम तोड़ने पर सजा का प्रावधान
इस अध्यादेश में हेल्थ मिनिस्ट्री ने पहली बार नियमों के उल्लंघन पर एक साल तक की जेल और 1 लाख रुपए का जुर्माना का प्रस्ताव दिया है। वहीं एक से अधिक बार नियम तोड़ने पर मिनिस्ट्री ने 5 लाख रुपए जुर्माना और 3 साल तक जेल की सिफारिश की है।

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प्रतिबंध लगाना मोदी सरकार की प्राथमिकता
ई-सिगरेट, हीट-नॉट-बर्न स्मोकिंग डिवाइसेस, वेप एंड ई-निकोटीन फ्लेवर्ड हुक्का जैसे वैकल्पिक धूम्रपान उपकरणों पर प्रतिबंध लगाना अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार के पहले 100 दिनों के एजेंडे की प्राथमिकताओं में था। अगर सरकार एक अध्यादेश लाती है, तो उसे संसद के अगले सत्र में एक विधेयक के साथ प्रतिस्थापित करना होगा। एक बार जब संसद बिल को मंजूरी दे देती है, तो ऐसे उत्पादों पर प्रस्तावित प्रतिबंध को कानूनी समर्थन मिल जाएगा।

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क्या होती है ई-सिगरेट?
ई-सिगरेट एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक इन्हेलर होता है, जिसमें निकोटीन और अन्य रसायनयुक्त तरल भरा जाता है। ये इन्हेलर बैट्री की ऊर्जा से इस लिक्विड को भाप में बदल देता है, जिससे पीने वाले को सिगरेट पीने जैसा एहसास होता है। ईएनडीएस ऐसे उपकरणों को कहा जाता है, जिनका प्रयोग किसी घोल को गर्म कर एरोसोल बनाने के लिए किया जाता है, जिसमें विभिन्न स्वाद भी होते हैं लेकिन ई-सिगरेट में जिस लिक्विड का इस्तेमाल किया जाता है, वह कई बार निकोटिन होता है और कई बार उससे भी ज्यादा खतरनाक रसायन होते हैं। इसके अलावा कुछ ब्रांड्स ई-सिगरेट में फॉर्मलडिहाइड का इस्तेमाल करते हैं, जो बेहद खतरनाक और कैंसरकारी तत्व हैं।

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न्यूयॉर्क में बैन हुई फ्लेवर्ड ई-सिगरेट 
न्यूयॉर्क के डोमेस्टिक गवर्नर ने टीनेजर्स और यूथ के बीच इस सिगरेट से बढ़ रही फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों की बढ़ती संख्या पर चिंता जाहिर करते हुए इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। इसके बाद यहां ई-सिगरेट को पूरी तरह बैन कर दिया गया है। यूनाइटेड स्टेड में मिशिगन के बाद न्यूयॉर्क सिटी दूसरा ऐसा स्टेट बन चुका है, जहां फ्लेवर्ड ई-सिगरेट पर बैन लगाया जा चुका है।


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jyoti choudhary

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