जल्द पूरे होंगे अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजैक्ट

Saturday, Feb 25, 2017 - 01:10 PM (IST)

जालंधरः यदि आपने कुछ पहले डिवैल्पर्स के पास फ्लैट बुक कराए है या आपने अंडर कंस्ट्रंशन प्रोजैक्ट में फ्लैट बुक कराया है तो जल्द ही घर मिलने का सपना पूरा होने वाला है। जहां सरकार बिल्डरों पर बिल्डिंग रैगुलेटिंग एक्ट के तहत उन पर अंकुश लगाने के ड्राफ्ट को तैयार कर चुकी है, वहीं सेबी ने रियल एस्टेट की दिक्कतों को दूर करने के लिए रियल एस्टेट इन्वैस्टमैंट ट्रस्ट यानी रीट के नियमों में ढील देने का मन बनाया है। 

बताया जाता है कि इसके चलते दिल्ली एन.सी.आर. के करीब 3 लाख से अधिक लोग जिन्होंने कई साल पहले अपने सपने के अनुसार डिवैल्परों के प्रोजैक्टों में अपने फ्लैट बुक करा दिए थे उन्हें घर मिल सकता है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी ने ऐसा कदम उठाया है जिसके चलते रियल एस्टेट कम्पनियों की फंड की दिक्कत कम हो सकती है और उनके अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजैक्ट रफ्तार पकड़ सकते हैं। दरअसल सेबी ने अपनी बोर्ड बैठक रीट के नियमों में ढील देते हुए 20 फीसदी निवेश के लिए कंसल्टेशन पेपर जारी किया है। पहले रीट को पहले से तैयार या किराए के लिए उठाए गए प्रोजैक्ट में पैसा लगाने की इजाजत थी। अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजैक्ट में वे पैसा लगा सकते थे लेकिन महज 10 फीसदी। अब सेबी इस सीमा को बढ़ाकर 20 फीसदी करना चाहता है। इसके लिए उसने संबंधित पक्षों की राय मांगी है। अगर सेबी की यह योजना परवान चढ़ी तो नकदी की किल्लत झेल रहे रियल एस्टेट सैक्टर के लिए यह किसी संजीवनी से कम नहीं होगा।

क्या होगा फायदा
पहले रीट के तहत बिल्डर बाहरी लोगों का निवेश सीधे तौर पर प्रोजैक्ट में लगा सकेगा। इसके चलते उसे फंड रेज करने में आसानी होगी। इसके चलते वह अपने प्रोजैक्टों को तय समय में पूरा करने की कोशिश करेगा। इसके अलावा बिल्डर का साथ जब छोटे निवेशक देंगे तो उससे कम्पनियों  के पास पैसा रोटेट में आएगा। देश के अलग-अलग हिस्सों में रियल एस्टेट के कई प्रोजैक्ट अभी अंडर कंस्ट्रक्शन हैं। कंपनियों के पास उन्हें पूरा करने के लिए पैसा नहीं है। कर्ज आसानी से मिलता नहीं है। रीट भी महज 10 फीसदी पैसा दे सकता था लेकिन अब प्रस्ताव है कि रीट 20 फीसदी तक पैसा अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजैक्ट में निवेश कर सकेगा। इससे बिल्डर कम्पनियों की पूंजी की दिक्कत दूर होगी और प्रोजैक्ट रफ्तार पकड़ेंगे।

सेबी ने एक और महत्वपूर्ण फैसला यह भी लिया है कि कंपनियों में निवेश के लिए जो स्पांसर आते थे अब तक उनकी सीमा तीन तक निर्धारित थी लेकिन अब सेबी ने निर्णय लिया है कि तीन की बजाय पांच स्पांसर बन सकते हैं। माना जा रहा है कि सहमति बनी तो मार्च 2017 यानी अगले वित्तीय वर्ष से रीट रियल एस्टेट सैक्टर के लिए बड़ा मददगार बनकर उभर सकता है।

बिल्डर भी हुए एकजुट
बिल्डिंग रैगुलेटिंग एक्ट 2016 के क्रियान्वयन के चलते देश के सभी बड़े बिल्डर्स एकजुट हो गए हैं। अंदेशा है कि जिस तरह से इन लोगों ने क्रेडाई संंगठन बनाया है उसी तरीके से एक बड़ा संगठन बना यह सरकार पर बड़ा दबाव बनाने की तैयारी में भी है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक मौजूदा हालातों को देखते हुए वर्तमान में बगैर पार्टनरशिप और छोटे निवेशकों को जोड़े बिना अब कोई भी बड़ा प्रोजैक्ट जल्द पूरा नहीं हो सकता इसलिए मौजूदा प्रोजैक्ट्स में सभी डिवैल्पर्स छोटे निवेशकों का साथ ले रहें हैं।

बाजार की हालत को देखते हुए लिया गया निर्णय
रियल एस्टेट डाटा, रिसर्च एवं एनालिटिक्स फर्म प्रोपइक्विटी ने देश के 8 शहरों पर की गई स्टडी में पाया कि इस क्वार्टर में अनसोल्ड स्टॉक में जरूर लगभग एक फीसदी की कमी आई। दिसम्बर तक जहां गुडग़ांव, नोएडा, मुंबई, कोलकाता, पुणे, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई में 4 लाख 59 हजार 67 अनसोल्ड हाऊस थे, जो दिसंबर 2016 में खत्म हुए क्वार्टर के बाद 4 लाख 5x हजार 592 रह गए। रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई से सितंबर 2016 के दौरान जहां 38450 यूनिट्स की सेल हुई, वहीं अक्तूबर से दिसंबर 2016 के दौरान केवल 26718 यूनिट्स ही बिके, यानी लगभग 31 फीसदी की गिरावट रही। इसी तरह जुलाई से सितंबर 2016 के बीच 27696 यूनिट्स लांच हुए जबकि अगले क्वार्टर यानी अक्तूबर से दिसंबर 2016 के दौरान 166x6 यूनिट्स ही लांच हुए।

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