जीएसटी 2.0 के बाद दोपहिया बाजार में जबरदस्त उछाल, अक्टूबर में रिकॉर्ड बिक्री
punjabkesari.in Monday, Oct 27, 2025 - 11:52 AM (IST)
बिजनेस डेस्कः जीएसटी 2.0 लागू होने के बाद भारत का दोपहिया वाहन बाजार जबरदस्त रफ्तार पकड़ रहा है। अक्टूबर 2025 में दोपहिया वाहनों का पंजीकरण बढ़कर 18.5 लाख यूनिट तक पहुंच गया, जो इस साल का अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। यह उछाल जीएसटी दरों में हालिया सुधार और त्योहारी सीजन की मांग के संयुक्त प्रभाव को दर्शाता है, जिससे शहरी और ग्रामीण दोनों बाजारों में उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ा है।
सितंबर से 43% की वृद्धि
‘वाहन’ पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में दोपहिया पंजीकरण सितंबर के 12.9 लाख से बढ़कर 18.5 लाख तक पहुंच गया यानी 43% से अधिक की वृद्धि। यह तेजी जुलाई से सितंबर तिमाही की सुस्ती के बाद खुदरा बिक्री में आए सबसे मजबूत सुधार को दिखाती है।
सालभर के रुझान
इस साल जनवरी से सितंबर तक मासिक पंजीकरण में उतार-चढ़ाव देखने को मिला था।
- जनवरी: 15.3 लाख
- फरवरी: 13.5 लाख
- मार्च: 15.1 लाख
- अप्रैल: 16.9 लाख
- मई: 16.5 लाख
- जून: 14.5 लाख
- जुलाई: 13.5 लाख
- अगस्त: 13.7 लाख
- सितंबर: 12.9 लाख
- अक्टूबर: 18.5 लाख (रिकॉर्ड स्तर)
कंपनियों का प्रदर्शन
प्रमुख कंपनियों में हीरो मोटोकॉर्प ने 5,44,856 पंजीकरण के साथ बाजी मारी। इसके बाद होंडा मोटरसाइकल एंड स्कूटर इंडिया रही 4,97,498 यूनिट्स के साथ।
अन्य कंपनियों का प्रदर्शन इस प्रकार रहा:
- टीवीएस मोटर: 3,33,574
- बजाज ऑटो: 2,13,123
- सुज़ुकी मोटरसाइकल इंडिया: 96,509
- रॉयल एनफील्ड: 94,293
- यामाहा मोटर इंडिया: 59,515
इन आंकड़ों से यह साफ है कि दोपहिया बाजार में सभी प्रमुख ब्रांडों ने मजबूत वृद्धि दर्ज की है।
विशेषज्ञों की राय
उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, यह उछाल जीएसटी 2.0 के प्रत्यक्ष प्रभाव का परिणाम है। नई दरों से शुरुआती और रोजमर्रा की सवारी वाले वाहनों पर कर भार कम हुआ है, जिससे खरीद क्षमता और प्रतिस्थापन मांग (replacement demand) दोनों बढ़ी हैं।
प्राइमस पार्टनर्स के सलाहकार अनुराग सिंह ने कहा, “जीएसटी में कमी के शुरुआती संकेत दोपहिया उद्योग के लिए बेहद सकारात्मक हैं। बिक्री, बुकिंग और पूछताछ के आंकड़े मजबूत हैं और आने वाले महीनों में ग्रामीण व शहरी मांग दोनों में तेजी जारी रहेगी।” कुल मिलाकर जीएसटी 2.0 के बाद दोपहिया उद्योग में न केवल बिक्री बल्कि उपभोक्ता भावना में भी स्पष्ट सुधार देखने को मिल रहा है।
