काम आई टू व्हीलर कंपनियों की हैवी डिस्काऊंट की स्ट्रैटजी

Saturday, Apr 01, 2017 - 04:10 PM (IST)

नई दि‍ल्‍लीः सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीएस-3 व्हीकल के स्टॉक क्लीयरेंस के लिए हैवी डिस्काऊंट की स्ट्रैटजी कंपनियों और डीलर्स के लिए वरदान साबित हुई। बीएस-3 वाहन बेचने के लिए कंपनियों के पास सिर्फ 2 दिन थे। डिस्काऊंटस का नतीजा यह रहा कि 31 दिसंबर को दोपहर में ही डीलर्स ने अपने स्टोर पर ऑउट ऑफ स्टॉक के बोर्ड लगा दिए। डीलर्स के मुताबिक दो दिनों में 70 से 90 फीसदी तक बीएस-3 व्हीकल की इन्वेंट्री क्लीयर हो गई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद टू व्हीलर्स पर 30 हजार और सुपर बाइक्स पर 3 लाख रुपए तक डिस्काऊंट मिल रहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया यह आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल 2017 से बीएस 3 वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग, सेल और रजिस्ट्रेशन पर रोक लग दी है। इस आदेश की चपेट में आने वाले कुल 8 लाख बीएस 3 वाहनों में अकेले टू-वीइलर्स की तादाद 6.71 लाख है और कारों की संख्या करीब 40,000 है। ऐसे में डीलरों को इन्हें बेचने के लिए महज दो दिन का वक्त मिला। आज से केवल बीएस-4 नॉर्म्‍स वाले व्‍हीकल्‍स ही बेचे जाएंगे।

डीलर्स को बंद करने पड़े शोरूम
होंडा मोटरसाइकि‍ल्‍स एंड स्‍कूटर्स इंडि‍या (एच.एम.एस.आई.) के स्‍पोक्‍सपर्सन ने कहा कि डीलर्स की ओर से डि‍स्‍पैचमेंट न होने के कारण सेल के दौरान बि‍के व्‍हीकल्‍स का सही आंकड़ा नहीं बताया जा सकता। हालात यह थे कि लोगों की भीड़ बढ़ने से डीलर्स को शोरूम बंद करने पड़े। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसि‍एशन (फाडा) के प्रेसि‍डेंट जॉन के पॉल ने बताया कि‍ सभी डीलर्स डिस्काऊंट के चलते भी अपना स्‍टॉक क्‍लीयर नहीं कर पाए है। ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में अभी भी स्‍टॉक मौजूद है।
 

कंपनि‍यों के पास है यह 2 रास्ते
अगर कंपनियों के पास बीएस-3 वाहन बचे हैं तो कंपनियां इन दो रास्तों से अनसॉल्‍ड इन्‍वेंटरी निकाल सकती है।
वाहनों को किया जा सकता है एक्‍सपोर्ट
बजाज ऑटो के प्रेसि‍डेंट एस. रवि‍कुमार ने बताया कि‍ अगर कोई अनसॉल्‍ड इन्‍वेंटरी बचती है तो हमारे पास एक्‍सपोर्ट की संभावना है क्‍योंकि‍ हम बड़े एक्‍सपोर्टर हैं। हम 70 देशों में अपने व्‍हीकल्‍स को एक्‍सपोर्ट कर रहे हैं।

बीएस-3 वाहनों की करानी होगी रेट्रोफि‍टिंग
दूसरे वि‍कल्‍प के तौर पर कंपनि‍यों को अनसॉल्‍ड बीएस-3 व्‍हीकल्‍स में रेट्रोफि‍टिंग करनी होगी। हालांकि‍, इससे कंपनी पर काफी बोझ बढ़ेगा क्‍योंकि‍ पहले कंपनि‍यों को डीलर्स से स्‍टॉक लेकर फैक्‍ट्री में लाना होगा। फि‍र वहां इंजन लाइन में बीएस-4 की फि‍टिंग करनी होगी। फि‍टिंग के बाद दोबारा उन व्‍हीकल्‍स को डीलर्स के पास पहुंचाना होगा।

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