ट्रांसपेरेंसी के मामले में भारतीय कम्पनियां बेस्ट, चीनी कम्पनियां जीरो

Monday, Jul 11, 2016 - 08:38 PM (IST)

लंदनः ट्रांसपेरेंसी इंटरनैशनल की ओर से कराए गए सर्वे में यह खुलासा किया गया कि ट्रांसपेरेंसी के मामले में भारतीय कम्पनियां बेस्‍ट हैं जबकि चीनी कम्पनियां इस मामले में सबसे खराब बताई गईं। 

सर्वे में 15 ऐसे देशों की 100 कम्पनियों को शामिल किया गया जो उभरते बाजार हैं। इस सर्वे में भारत सहित ब्राजील, मैक्सिको, चीन और रूस जैसे देश शामिल किए गए। चीन की 3 कम्पनियों को 10 में से शून्‍य मार्क्‍स मिले। वहीं, इंडिया की भारती एयरटेल का स्‍कोर 10 में से 7.3 रहा और वह टॉप पोजिशन पर रही।

यह भारतीय कम्पनी रही टॉप
 सर्वे में शामिल भारत की सभी 19 कम्पनियों ने 75 फीसदी और इससे ज्‍यादा मार्क्‍स मिले हैं।
• यह स्‍कोर कम्पनियों के स्‍ट्रक्‍चर और होल्डिंग में ट्रांसपेरेंसी के लिए मिला है। इसका श्रेय देश के कम्पनीज एक्‍ट को जाता है।
• भारती एयरटेल को 7.3 अंकों के साथ पहला स्थान मिला, जबकि टाटा और विप्रो भी टॉप 25 में जगह बनाने में कामयाब रहीं।

इन चीनी कम्पनियों को मिला जीरो

• चीनी कम्पनियों का एवरेज स्‍कोर 10 में से 1.6 रहा। इसकी वजह कमजोर या एंटी करप्‍शन पॉलिसी नहीं होना है।
• चीन की 3 कम्पनियों- ऑटोमेकर चेरी, अप्‍लायंस मेकर गलांज और ऑटो पार्ट्स मेकर वानझिआंग ग्रुप को 10 में से जीरो अंक मिले हैं। बॉटम 25 कम्पनियां चीन की ही रहीं।
• ट्रांसपेरेंसी इंटरनैशनल ने 37 चीनी कम्पिनयों का आंकलन किया। सर्वे में शामिल कम्पनियों का यह सबसे बड़ा ग्रुप था लेकिन इनकी परफार्मेंस सबसे खराब रही।

एमएनसी करप्‍शन के लड़ने की जरूरत
• ट्रांसपेरेंसी इंटरनैशनल ने कहा है कि मल्‍टी नैशनल कम्पिनयों को करप्‍शन से लड़ने की दिशा में तेजी से काम करने की जरूरत है।
• बर्लिन की एजैंसी ट्रांसपेरेंसी इंटरनैशनल ने चेतावनी दी है कि ट्रांसपेरेंसी के मामले में अधिकांश कम्पनियां फेल रही हैं।

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