ट्रेड वॉर दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा

Sunday, Apr 08, 2018 - 05:02 AM (IST)

वॉशिंगटन: अमरीका और चीन के बीच ट्रेड वॉर की स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। अपने व्यापार को बचाने के लिए जहां अमरीका चीन पर एक के बाद एक टैरिफ  लगाए जा रहा है वहीं चीन भी अमरीका के हर प्रहार का जवाब दे रहा है। 

एक-दूसरे पर यूं टैरिफ लगाने की इस स्थिति में भले ही दोनों देश खुद को अव्वल समझ रहे हों लेकिन इससे अन्य देशों और उनकी अर्थव्यवस्था पर काफी प्रभाव पड़ेगा। वहीं चीन ने साफ  कर दिया है कि अगर व्यापार युद्ध हुआ और अमरीका नहीं माना तो वह भी चुप नहीं बैठेगा और मुंह तोड़ जवाब देगा। अमरीका रूस और चीन की घनिष्ठता से चिंतित नहीं है लेकिन उस पर अपने व्यापार को बचाने का जुनून इस कदर सवार है कि वह इससे अर्थव्यवस्था पर पडऩे वाले असर और आर्थिक विकास पर ध्यान नहीं दे पा रहा है। विशेषज्ञों का भी मानना है कि इस ट्रेड वॉर से दुनिया की इकोनॉमी पर बुरा असर पड़ेगा। 

अमरीका के खिलाफ  एकजुट रूस और चीन 
अमरीका और चीन जहां ट्रेड वॉर पर एक-दूसरे को नीचा दिखाने पर अमादा हैं, वहीं इस युद्ध में चीन और रूस एक साथ हैं। अगर कुछ साल पीछे जाएं तो रूस और चीन के संबंध कुछ ज्यादा अच्छे नहीं रहे हैं लेकिन अमरीका जैसी ताकत को चुनौती देने के लिए रूस और चीन एकजुट हो गए हैं। कई मुद्दों पर यह दोनों देश अमरीका के खिलाफ खड़े हैं, जिनमें ट्रेड वॉर से लेकर आर्थिक प्रतिबंध, सीरिया और उत्तर कोरिया जैसे मुद्दे शामिल हैं। हालांकि अब पिछले कुछ सालों में चीन और रूस के बीच घनिष्ठता बढ़ी है। दोनों देश आपसी संबंधों और व्यापारिक रिश्तों को सुधारने की पूरी कोशिश में हैं और ट्रेड वॉर में भी वह अमरीका के खिलाफ  एकजुट खड़े हैं। 

चीन पर टैरिफ क्यों लगा रहा है अमरीका 
अमरीका ने अब तक कई बार चीन पर टैरिफ लगाया है। अमरीका का तर्क है कि चीन गैर-कानूनी तरीके से व्यापार करता है और उसकी इन गतिविधियों ने अमरीका की हजारों फैक्टरियों और लोगों की नौकरियां छीन ली हैं। ऐसे में अपने व्यापार को बचाने के लिए उसे यह सही कदम लगता है। 

मिल-जुल कर चीन के प्रति अमरीका के व्यापार संरक्षणवाद का विरोध करें
चीनी अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य संघ ने 6 अप्रैल को बयान जारी कर कहा कि चीनी उद्योग व वाणिज्य जगत अमरीका की गलत कार्रवाई व कथन का कड़ा विरोध करता है और अमरीकी सरकार से गलत रास्ते पर न जाने का आग्रह किया गया। बयान के अनुसार चीनी अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य संघ ने अमरीका द्वारा की गई 301 जांच व जारी रिपोर्ट पर ध्यान से विश्लेषण व अध्ययन किया। 

सिर्फ चिंता के चलते डॉलर में गिरावट
चीन और अमरीका के बीच व्यापार युद्ध से जुड़ी चिंताओं के बाजार पर पड़े असर के चलते अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमरीकी डॉलर में गिरावट दर्ज की गई। बस इस आहट के चलते सुपर पावर अमरीका की करंसी यूरोप की यूरो, ब्रिटिश पाऊंड, जापान की येन और भारतीय रुपए के मुकामले कमजोर पड़ गई। डॉलर के मुकाबले रुपया 4 पैसे की मजबूती के साथ 64.93 के स्तर पर बंद हुआ था। समाचार एजैंसी शिन्हुआ के अनुसार शुक्रवार को न्यूयॉर्क ट्रेङ्क्षडग में यूरो में बीते सत्र के 1.2236 डॉलर के मुकाबले 1.2285 डॉलर की मजबूती रही। वहीं, ब्रिटिश पाऊंड में बीते सत्र के 1.4001 डॉलर के मुकाबले 1.4085 डॉलर की बढ़त रही। भारतीय रुपया भी डॉलर के मुकाबले मजबूती पर बंद हआ था। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित उत्पादों पर अतिरिक्त 100 अरब डॉलर का शुल्क लगाने की चेतावनी दी है, जिसके कारण व्यापार जगत में चिंता की लहर है और आॢथक विकास पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं। 

चीन के साथ विवाद का हल 3 माह में: अमरीका
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मुख्य आर्थिक सलाहकार लैरी कुडलो ने चीन के साथ बढ़ रहे व्यापारिक विवाद का हल 3 माह के भीतर कर लिए जाने की संभावना व्यक्त की है। कुडलो ने राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाऊस में कल संवाददताओं से बातचीत में हालांकि कहा कि चीन पर आयात शुल्क बढ़ाने की ट्रम्प की धमकी महज दिखावा नहीं है। उन्होंने कहा कि यह संभव है कि चीन के साथ बढ़ते व्यापार विवाद का हल 3 माह के भीतर कर लिया जाए। उन्होंने चीन के साथ व्यापारिक जंग की संभावना से इंकार करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध इतने खराब नहीं हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि विदेश नीति में बदलाव हो सकता है। 

Pardeep

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