तोमर ने 9 राज्यों में 22 बम्बू क्लस्टर की शुरूआत की, किसानों की आय होगी दोगुनी

Wednesday, Sep 09, 2020 - 10:51 AM (IST)

नई दिल्ली: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को नौ राज्यों में 22 बांस क्लस्टर का शुभारंभ किया और कहा कि देश अब बांस उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने के लिए कमर कस रहा है। एक सरकारी बयान के अनुसार, बांस के क्लस्टर (समूहों) की स्थापना - मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, असम, नागालैंड, त्रिपुरा, उत्तराखंड और कर्नाटक में की जाएगी। एक आभासी कार्यक्रम में, तोमर ने राष्ट्रीय बांस मिशन (एनबीएम) के लिए ‘लोगो’ (प्रतीक चिन्ह) को भी जारी किया। राष्ट्रीय बांस मिशन का आधिकारिक लोगो तैयार करने के लिए ‘माईगाव’ प्‍लेटफार्म के माध्यम से ऑनलाइन प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। देशभर से मिली 2033 प्रविष्टियों में से तेलंगाना के साई राम गौड एडिगी द्वारा विकसित डिजाइन को चुना गया व उन्हें नगद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

 


'आत्मनिर्भर भारत' के आह्वान में योगदान
बांस मिशन के लोगो में बांस की छवि भारत के विभिन्न हिस्सों में बांस की खेती को चित्रित करती है। लोगो के चारों ओर औद्योगिक पहिया, बांस क्षेत्र के औद्योगीकरण के महत्व को दर्शाता है। लोगो में सुनहरे पीले व हरे रंग का संयोजन दर्शाता है कि बांस 'हरा सोना' है। आधा औद्योगिक पहिया और आधा किसान सर्कल किसानों और उद्योग दोनों के लिए बांस के महत्व को दर्शाता है। इस आयोजन को संबोधित करते हुए, केंद्रीय कृषि मंत्री ने राज्यों से एनबीएम के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने का आह्वान किया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर कृषि के माध्यम से 'आत्मनिर्भर भारत' के आह्वान में योगदान देगा।

वोकल फॉर लोकल का लक्ष्य
उन्होंने कहा, ‘स्थानीतिय रूप से उगाई गई बांस की प्रजायों के माध्यम से स्थानीय कारीगरों को मिशन द्वारा दिया जा रहा समर्थन भी 'वोकल फॉर लोकल' (स्थानीय के लिए मुखर) के लक्ष्य को साकार करेगा।’ उन्होंने कहा कि इससे किसानों की आय बढ़ाने और कुछ कच्चे माल के आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत में बांस की संपत्ति और बढ़ते उद्योग के साथ, भारत को इंजीनियर और दस्तकारी उत्पादों दोनों के लिए वैश्विक बाजारों में खुद को स्थापित करने का लक्ष्य रखना चाहिए। बांस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए किए गए उपायों पर प्रकाश डालते हुए, तोमर ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2017 में भारतीय वन अधिनियम 1927 का संशोधन करके बांस को पेड़ों की श्रेणी से हटा दिया है।

उन्होंने कहा कि नतीजतन, अब कोई भी बांस और उसके उत्पादों में खेती और व्यवसाय कर सकता है। इसके अलावा, देश में बांस उद्योग की प्रगति सुनिश्चित करने के लिए आयात नीति में भी बदलाव किया गया है। तोमर ने कहा कि बांस का उपयोग भारत में एक प्राचीन परंपरा रही है और अब इसे आधुनिक तकनीक के साथ समर्थन दिया जा रहा है। बांस उद्योग के लिए युवाओं को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

वर्ष 2018-19 में पुनर्गठित एनबीएम का शुभारंभ
सरकार ने इस क्षेत्र के संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के समग्र विकास के लिए वर्ष 2018-19 में पुनर्गठित एनबीएम का शुभारंभ किया। मंत्रालय के अनुसार, सभी आठ उत्तर पूर्वी राज्यों सहित, 23 राज्यों की सहायता से बांस पारिस्थितिकी तंत्र को सक्रिय किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि दस सबसे महत्वपूर्ण प्रजातियों की पहचान की गई है और गुणवत्ता वाले रोपण सामग्रियां, किसानों को वृक्षारोपण के लिए उपलब्ध कराई जा रही है।

 

rajesh kumar

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