किसानों की आय बढ़ाने के लिए मक्का ऊपज दोगुना करने की आवश्यकता

Saturday, Mar 24, 2018 - 01:22 PM (IST)

नई दिल्लीः  कृषि मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि 2022 तक किसानों की आय बढ़ाने के लिए मक्का उपज को 4.5 करोड़ टन तक पहुंचाने के लिए देश की प्रति हेक्टेयर मक्का उपज बढ़ाकर दोगुनी करनी होगी। अधिकारी ने कहा कि हालांकि, भूमि संसाधन संबंधी दिक्कते हैं और किसानों के पास केवल एक विकल्प बचा है कि मक्का की ऊपज को बढ़ाया जाए। इसे उन्नत संकर बीज और सर्वोत्तम कृषि पद्धति के तरीकों को अपनाकर ही किया जा सकता है।

सरकार 2017-18 फसल वर्ष के मौजूदा 2.7 करोड़ टन के मुकाबले वर्ष 2022 तक मक्का उत्पादन को बढ़ाकर 4.5 करोड़ टन करने का लक्ष्य रखती है। राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकार (एनआरएए) के मुख्य कार्याधिकारी अशोक दलवाई ने कहा कि मक्का की अधिक खेती से किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है, जिसका उपयोग भोजन, खाद्य और ईंधन के रूप में किया जाता है। दलवाई फिक्की द्वारा मक्का पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मक्के की कुशल और सस्ती लागत वाली खेती के साथ किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। इसके लिए  मक्का या मक्का उत्पादकता को 2.7 टन प्रति हेक्टेयर के मौजूदा स्तर से दोगुनी करना होगा क्योंकि सीमित भूमि संसाधनों को देखते हुए इस फसल के रकबे का तो विस्तार नहीं किया जा सकता है।

भारत की मक्का की पैदावार ब्राजील के 5.5 टन प्रति हेक्टेयर, चीन के छह टन प्रति हेक्टेयर और अमेरिका के 10.2 टन प्रति हेक्टेयर से कहीं कम है। किसानों की आय को दोगुना करने पर एक समिति के प्रमुख दलवाई ने कहा कि बिहार, तमिलनाडु और कर्नाटक में मक्का किसानों की सकल आय 40,000 रुपए प्रति हेक्टेयर है। हालांकि,  महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात में मक्का उत्पादकों के लिए यह आय बहुत कम है। उन्होंने कहा कि पश्चिम भारत में इस दिशा में काफी संभावनाएं हैं। इससे पूर्व कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि भारतीय मक्का शोध संस्थान (आईआईएमआर),  लुधियाना को फसल के उत्पादन, उत्पादकता और टिकाऊपन के स्तर को बढ़ाने के लिए बुनियादी, रणनीतिक और व्यावहारिक अनुसंधान करने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। सरकार विभिन्न हस्तक्षेपों के माध्यम से आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करके 28 राज्यों के 265 जिलों में मक्का की खेती को बढ़ावा दे रही है।      
 
 

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