नूडल्स, चिप्स, कोल्ड ड्रिंक का सेवन करने वाले हो जाएं सावधान, होश उड़ा देगी ये रिपोर्ट

punjabkesari.in Saturday, Nov 09, 2024 - 02:12 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः अगर आप नूडल्स, चिप्स, कोल्ड ड्रिंक या आइसक्रीम जैसे फूड प्रोडक्ट्स का सेवन करना पसंद करते हैं, तो अब आपको सावधान रहने की जरूरत है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां जो इन उत्पादों का निर्माण करती हैं, गरीब देशों में ऐसे फूड आइटम्स बेचती हैं जो स्वास्थ्य के लिए ‘खराब’ माने जाते हैं।

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अमीर और गरीब देशों के बीच भेदभाव

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमीर देशों की तुलना में गरीब देशों में ये अंतरराष्ट्रीय कंपनियां 'कम हेल्दी' प्रोडक्ट्स की बिक्री करती हैं। ऐसे उत्पादों में सामान्यत: ऐसी सामग्री का उपयोग किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं होती, जबकि अमीर देशों में बेचे जाने वाले सामान की न्यूट्रिशनल वैल्यू अधिक होती है।

खबरों के अनुसार फूड कंपनियों की जांच

एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की प्रमुख फूड कंपनियों जैसे नेस्ले, पेप्सिको और यूनिलीवर के प्रोडक्ट्स की गहन जांच की गई। इन प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल हुई सामग्री और स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव को लेकर यानी उनकी न्यूट्रिशनल वैल्यू को लेकर एक इंडेक्स तैयार किया गया है, जिसे 'एक्सेस टू न्यूट्रिशन इनिशिएटिव' (ATNI) ने तैयार किया है।

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फूड स्टार रेटिंग सिस्टम का महत्व

इस इंडेक्स से यह साबित हुआ है कि अमीर देशों में बेचे जा रहे प्रोडक्ट्स की तुलना में गरीब देशों में बेचे जाने वाले प्रोडक्ट्स औसतन 1.8 स्टार रेटिंग प्राप्त करते हैं। वहीं, अमीर देशों में उत्पादों को 2.3 स्टार रेटिंग मिली। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने फूड आइटम्स की न्यूट्रिशनल वैल्यू को रेटिंग देने के लिए एक 'स्टार रेटिंग' सिस्टम विकसित किया है। इसके तहत, जो प्रोडक्ट्स स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर होते हैं उन्हें 5 स्टार दिए जाते हैं, जबकि 3.5 स्टार से अधिक रेटिंग वाले उत्पादों को एवरेज माना जाता है।

कंपनियों का कोई बयान नहीं

इस रिपोर्ट के संदर्भ में अभी तक कंपनियों ने कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है। यह शोध से यह साफ हो गया है कि नीति निर्धारण और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की दिशा में काफी सुधार की आवश्यकता है, विशेष रूप से गरीब देशों में। 

इस रिपोर्ट ने न केवल उपभोक्ताओं को जागरूक किया है, बल्कि यह आवश्यक है कि स्वास्थ्य-संबंधी नियमों को और अधिक सख्त बनाया जाए ताकि सभी देशों में समान गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ उपलब्ध रहें।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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