गोल्ड या उससे संबंधित उत्पादों पर होता है कर संबंधी प्रावधान

Saturday, Apr 30, 2022 - 01:34 PM (IST)

टीम डिजिटल। गोल्ड यानी सोना के कई रूप हैं जिसमें हर कोई निवेश कर सकता है। यह भारतीयों के लिए संपत्ति की सबसे आकर्षक श्रेणी है। फिजिकल गोल्ड के अलावा डिजिटल गोल्ड और पेपर गोल्ड की भी आजकल काफी मांग है। ऐसे में निवेशक को सोने में निवेश से जुड़ी कर देनदारियों (टैक्स लाएबिलिटीज) के बारे में पता होना चाहिए। फिजिकल गोल्ड (आपके पास मौजूद सोना) की बिक्री पर पूंजीगत लाभ कर लगता है

आयकर अधिनियम के अनुसार सोने को एक पूंजीगत संपत्ति माना जाता है। जब कोई व्यक्ति भौतिक रूप में सोना बेचता है जैसे सोने के आभूषण, सोने के बिस्कुट, सोने के सिक्के आदि, तो उस पर पूंजीगत लाभ कर लागू होगा और पूंजीगत लाभ होने वाले फायदे के प्रकार के आधार पर कर के दायरे में आते हैं, चाहे दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ हो या अल्पकालिक पूंजीगत लाभ। यदि आप बिक्री की तारीख से पहले 36 महीने से अधिक समय तक सोना रखते हैं, तो यह एक दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ है। अन्यथा, यह एक अल्पकालिक पूंजीगत लाभ है, और कर का भुगतान उसी के मुताबिक होगा।

लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ के मूल्य को प्राप्त करने के लिए आप फिजिकल गोल्‍ड की खरीदी की लागत पर इंडेक्सेशन लाभ ले सकते हैं। इस तरह के लाभ पर 20 प्रतिशत और 4 प्रतिशत का उपकर लगाया जाता है। इसलिए, कुल कर देनदारी 20.08 प्रतिशत होगी।

हालांकि, अगर आपने सोने को छोटी अवधि के भीतर, यानी खरीद की तारीख से 36 महीने की समाप्ति से पहले बेच दिया है, तो अपनी सकल कुल आय में इस तरह के अल्पकालिक पूंजीगत लाभ को शामिल करें और नियमित कर स्लैब के अनुसार कुल कर योग्य आय पर कर की गणना करें। डिजिटल गोल्‍ड की बिक्री पर टैक्स फिजिकल गोल्‍ड की बिक्री के समान है

कोविड-19 महामारी के दौरान, डिजिटल गोल्ड अत्यधिक लोकप्रियता हासिल करने में सफल रहा। डिजिटल गोल्ड सुरक्षा, सुविधा और शुद्धता प्रदान करता है, जो फिजिकल गोल्‍ड में अपेक्षाकृत कम संभव है। आप विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से मेटल ट्रेडिंग कंपनियों (सेफगोल्ड या एमएमटीसी-पीएएमपी) से ई-गोल्ड खरीद सकते हैं। विभिन्न ऐप और वेबसाइट जैसे पेटीएम, मोतीलाल ओसवाल, गूगल पे आदि निवेशकों के लिए ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं। मेटल ट्रेडिंग कंपनियां निवेशक की ओर से एक सुरक्षित लॉकर में डिजिटल गोल्‍ड जमा करती हैं। हालांकि, यह सेबी या आरबीआई जैसे किसी भी सरकारी निकाय द्वारा विनियमित नहीं है। डिजिटल गोल्ड पर टैक्‍स लाएबिलिटी वही है जो फिजिकल गोल्ड पर लागू होगी है।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की बिक्री पर टैक्स

आरबीआई सरकार की ओर से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) जारी करता है। यह फिजिकल गोल्‍ड रखने का विकल्प है। आप आठ साल की मैच्योरिटी के बाद बॉन्ड को रिडीम करा सकते हैं। हालांकि, इसे खरीद के पांच साल के अंत में भी रिडीम कराया जा सकता है। इसके अलावा, निवेशक के पास सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को सेकेंडरी मार्केट में बेचने का विकल्प होता है। स्टॉक एक्सचेंजों पर जारी किए गए गोल्ड बॉन्ड की सूची और एसजीबी की बिक्री पर कर संबंधी विवरण निम्न हैं:

परिपक्‍व होने पर एसजीबी को रिडीम कराना: आठ साल के बाद यानी मैच्योरिटी पर रिडीम कराए गए गोल्ड बॉन्ड पर किसी भी तरह के लाभ पर टैक्स से छूट मिलती है। पांच साल के बाद समय से पहले रिडीम कराना : पांच साल के बाद एसजीबी की बिक्री पर कोई भी लाभ लॉन्ग दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ माना जाएगा, और इंडेक्सेशन के बाद ऐसे लाभ पर 20 फीसदी टैक्स लगता है।

स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से एसजीबी की बिक्री: सेकेंडरी बाजार के माध्यम से एसजीबी की बिक्री पर किसी भी लाभ पर दीर्घकालिक या अल्पकालिक पूंजीगत लाभ के आधार पर कर लगाया जाता है। यदि एसजीबी को खरीद के 36 महीनों के भीतर बेचा जाता है, तो व्यक्ति के सामान्य कर स्लैब के आधार पर कर का भुगतान किया जाता है। अन्यथा, लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर 20 प्रतिशत और 4 प्रतिशत उपकर लगाया जाता है।

निवेशक को छमाही आधार पर 2.5 फीसदी सालाना की दर से ब्याज मिलता है। इस ब्याज आय को "अन्य स्रोतों से आय" शीर्ष के तहत शामिल किया जाएगा और उसी के अनुसार कर लगाया जाएगा। हालांकि, अन्य पेपर गोल्ड निवेश जैसे म्युचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की बिक्री पर फिजिकल गोल्‍ड के समान ही कर लगाया जाता है। (अर्चित गुप्ता, क्लियर के संस्थापक और सीईओ)

Deepender Thakur

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