शेयर निवेशकों के लिए हर रंग-रूप समेटे रहा वर्ष 2020, बाजार की चाल से निवेशक रहे हैरान-परेशान

Monday, Dec 28, 2020 - 02:09 PM (IST)

नई दिल्लीः निवेशकों को इस साल शेयर बाजार का हर रंग-रूप देखने को मिला। कोविड-19 महामारी के प्रभाव से जहां शेयर बाजार रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गए वहीं सरकार के अभूतपूर्व राजकोषीय और मौद्रिक प्रोत्साहन उपायों से ये नित नए रिकॉर्ड भी बनाने लगे। बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देख निवेशक भी भैचक्के नजर आए। हालांकि, अब निवेशकों की चिंता 2021 में बाजार की चाल को लेकर है। इस साल आई तेजी और आगे बढ़ेगी अथवा बाजार में कोई बड़ा करेक्शन आएगा। पूरे साल बाजार में व्यापक उतार-चढ़ाव देखन को मिला। एक तरफ जहां बाजार ऐतिहासिक रूप से निम्न स्तर तक गया, वहीं दूसरी तरफ इसमें जोरदार तेजी आई। कभी-कभी एक ही दिन में जोरदार उतार-चढ़ाव देखने को मिला। 

बाजार की चाल ने कारोबार में महारथ रखने वाले निवेशकों से लेकर छोटे व नए निवेशकों को भी हैरत में डाल दिया। किसी ने भी नहीं सोचा था कि सेंसेक्स और निफ्टी जो मार्च अंत में रसातल में पहुंच गए थे उनमें जल्द ही जोरदार तेजी आएगी तथा साल के अंत तक ये रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच जाएंगे। कुल मिलाकर, 2020 ऐसे उतार-चढ़ाव वाला साल रहा जो कल्पना से परे था। साल की शुरूआत ही बाजार के लिहाज से अच्छी नहीं रही। तीन जनवरी को ईरान के शीर्ष कमांडर कासीम सोलेमानी की इराक में अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत से पश्चिम एशिया में तनाव फैल गया जिसका शेयर बाजारों पर भी असर पड़ा। शुरुआत में चीन में कोरोना वायरस महामारी की खबर से शेयर बाजारों में वैश्विक बाजारों के अनुरूप कोई असर नहीं पड़ा और निवेशकों की निगाह बजट पर बनी रही। 

हालांकि, एक फरवरी 2020 को पेश बजट आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने और राजकोषीय अनुशासन को लेकर बाजार की उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहने से इस दौरान शेयर बाजारों में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट आई लेकिन बाजार की असली परीक्षा तो आगे होने वाली थी। फरवरी मध्य से विश्व बाजार में कोरोना वायरस को लेकर आशंका का असर होने लगा। क्योंकि उस समय तक साफ हो गया था कि कोविड-19 संकट चीन तक सीमित नहीं रहेगा। वैश्विक बाजारों में नरमी और घरेलू समस्याओं ने शेयर बाजार के लिए संकट बढ़ा दिया। मार्च 2020 में चार बड़ी गिरावटें दर्ज की गई जिसने निवेशकों को अचंभित किया। 

शेयर बाजार में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट 23 मार्च को आई जब लॉकडाउन की घोषणा से बाजार ने तगड़ी डुबकी लगाई। उस दिन सेंसेक्स 3,934.72 अंक यानी 13.15 प्रतिशत टूटा। हालांकि, इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से नकदी बढ़ाने के लिए तत्काल उठाए गए कदम के बीच बाजार में बड़ी तेजी भी आई। सेंसेक्स में सबसे बड़ी एक दिन की तेजी सात अप्रैल को आई। उस दिन सेंसेक्स 2,476.26 अंक मजबूत हुआ। निवेशकों को यह भरोसा जगा कि सरकार महामारी के कारण संकट में फंसी अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए और प्रोत्साहन उपायों की घोषणा करेगी। सिर्फ घरेलू बाजार ही नहीं बल्कि वैविक बाजारों में भी जोरदार उतार-चढ़ाव देखने को मिला। डोउ जोन्स में सर्वाधिक गिरावट आई।
 
उभरते बाजारों में संपत्तियों के मूल्य में बड़ी गिरावट आई जब इतिहास में पहली बार अमेरिकी तेल वायदा शून्य से नीचे चला गया। विश्व अर्थव्यवस्था की खराब होती स्थिति के साथ सरकार के ऊपर महामारी के कारण स्वास्थ्य संकट से निपटने की जिम्मेदारी के बीच दुनिया के विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों ने वित्तीय बाजारों को पटरी पर लाने तथा निवेशकों के बीच भरोसा बढ़ाने के लिए कदम उठाए। एलकेपी सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख एस रंगनाथन ने कहा, ‘‘वर्ष 2020 को इतिहास में एक ऐसे वर्ष के रूप में जाना जाएगा जब वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों ने कोविड-19 महामारी से अर्थव्यवस्थाओं को उबारने का लेकर प्रोत्साहन उपायों के लिए 11,000 अरब डॉलर की पूंजी डाली।'' 

अमेरिकी फेडरल रिजर्व और अन्य केंद्रीय बैंकों के नकदी बढ़ाने और अन्य प्रोत्साहन उपायों से वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी आई। पर्याप्त नकदी के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने उभरते बाजारों में एक अरब डॉलर की पूंजी डाली और इसमें बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने में भारत कामयाब रहा। भारतीय शेयर बाजारों में एफपीआई शुद्ध प्रवाह 1.5 लाख करोड़ रुपए (20 अरब डॉलर से अधिक) रहा जो एक रिकॉर्ड है। वैश्विक बाजारों को प्रोत्साहन फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनका जैसी कंपनियों से भी मिला। इन कंपनियों ने कोविड-19 टीके परीक्षण के सकारात्मक परिणाम आने की घोषणा की। 

टीके के मोर्चे पर सकारात्मक खबर से 9 नवंबर, 18 दिसंबर के बीच कुल 29 सत्रों में से 22 में बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुआ। पूरे साल के दौरान (24 दिसंबर तक) सेंसेक्स 13.86 प्रतिशत चढ़ गया जबकि निफ्टी में 12.99 प्रतिशत की तेजी आई। इस साल मार्च के निम्न स्तर से तुलना की जाए तो दोनों सूचकांक 80 प्रतिशत ऊपर आए हैं। शेयर बाजार को नित नई ऊंचाई पर पहुंचाने में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) का भी बढ़ा हाथ रहा। यह पहली भारतीय कंपनी रही जिसका बाजार पूंजीकरण बढ़कर 15 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के झटके झेल रही थी तब अप्रैल के महीने में मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस की इकाई रिलायंस जियो में दुनिया की जानी मानी कंपनियां हिस्सेदारी खरीद रही थी। 

फेसबुक, गूगल, सिल्वर लेक, केकेआर, मुबाडाला और सउदी अरब के सार्वजनिक निवेश कोष ने रिलायंस जियो में हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की। कंपनी इस साल अब तक 25 अरब डॉलर के करीब निवेश जुटा चुकी है। वर्ष के बड़े हिस्से में रिलायंस ने अकेले ही सेंसेक्स को ऊपर चढ़ाने में योगदान दिया। हालांकि, इस दौरान यह सवाल भी उठा कि क्या वासतव में शेयर बाजार को अर्थव्यवसथा का आइना माना जा सकता है। देश विदेश की अर्थव्यवस्थायें जब तेजी से नीचे लुढ़क रही थीं तब शेयर बाजार ऊंचाई को नाम रहे थे। भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत कम हुई है लेकिन शेयर बाजार ऐसे में भी नए रिकॉर्ड बना रहा था। बीएसई सेंसेक्स का ‘प्राइस टु अर्निंग' अनुपात 32.89 चल रहा है। जो कि अब तक का रिकॉर्ड है यानी निवेशक सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों के शेयरों से भविष्य में होने वाले प्रत्येक एक रुपए की कमाई के लिए 32.89 रुपए का भुगतान कर रहे हैं। वर्ष के दौरान एक और उल्लेखनीय बात यह रही कि अप्रैल से अक्ट्रबर 2020 की अवधि में रिकॉर्ड 68 लाख नए डिमैट खाते खोले गए। जबकि समूचे 2019- 20 में 49 लाख डीमैट खाते खुले थे। जो कि पिछले एक दशक में सबसे अधिक थे। 

विशेषज्ञों के मुताबिक लॉकडाउन के कारण घर पर अधिक समय बिताने के चलते यह स्थिति बनी है। नौकरी और कमाई के नुकसान की भरपाई के लिये घर में रहकर शेयरों में खरीद-फरोख्त की तरफ रूझान बढ़ा। हालांकि, अब निवेशकों की चिंता 2021 को लेकर है। उनहें यह चिंता सताने लगी है कि नए साल में शेयर बाजार और ऊंचाई पर पहुंचेगा अथवा बाजार में कोई बड़े करेक्शन आने वाला है। 
 

jyoti choudhary

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