आसान नहीं है टिक-टॉक जैसे शार्ट वीडियो ऐप्स की राह

Saturday, Jul 04, 2020 - 12:48 PM (IST)

बेंगलूरूः सरकार द्वारा चीनी वीडियो एप टिक-टॉक पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से ही देश में टिक-टॉक की तर्ज पर बने बोलो इंडिया, मित्रों, चिंगारी और रोपोसो जैसे ऐप्लिकेशंस की डाऊनलोड तेजी से बढ़ी है लेकिन निवेशकों की मानें तो इन देसी ऐप्लिकेशन्स द्वारा टिक-टॉक को टक्कर देना अभी दूर की कौड़ी है क्योंकि ऐप्लिकेशन के डाऊनलोड बढऩा इस जंग का पहला कदम है और यूजर्स को अपने साथ बांध कर रखने, नया कंटैंट क्रिएट करने और यूजर्स को ऐप्लिकेशंस की आदत डालने वाला ही इस लड़ाई में विजेता बन कर उभर सकता है। इंडस्ट्री के अनुमानों के मुताबिक शार्ट वीडियो ऐप्लिकेशन के लिए 12 से 15 प्रतिशत का रिटैंशन अच्छा माना जाता है। लिहाजा यदि आपने कुछ मिलियन डाऊनलोड बढ़ा भी लिए हैं तो इस गला काट प्रतिस्पर्धा में यह ज्यादा मायने नहीं रखते।

ऐप्लिकेशन्स को ज्यादा लोकप्रिय बनाने के लिए जिस तरह के निवेश की जरूरत होती है, वह निवेश इनमें से अधिकतर ऐप्लिकेशंस को नहीं मिल पाएगा क्योंकि इनके पास ऐसी क्षमता नहीं है कि यह मार्कीट से निवेशकों को आकर्षित कर सकें और ऐप्लिकेशंस का दायरा बढ़ा सके। शेयर चैट और रोपोसो में निवेश करने वाली कम्पनी कोटीएंट के पार्टनर आनंद लुनिया ने कहा कि जिन एप्लीकेशंस के डाऊनलोड बढ़ रहे हैं, इनमें से 90 प्रतिशत डाऊनलोड बेस एक महीने तक भी नहीं ठहर पाएगा। टिक-टॉक जैसा ऐप्लिकेशन बनाने के लिए न सिर्फ विश्व स्तरीय इंजीनियरिंग क्षमता की जरूरत है  बल्कि लाखों डॉलर्स में बनने वाले रिकमैंडेशन इंजन के साथ मार्कीटिंग के लिए भी करोड़ों रुपए की जरूरत होगी।

शेयर चैट और रहियो टी.वी. में निवेश करने वाली कम्पनी लाइट स्पीड इंडिया के पार्टनर देव खरे ने कहा कि इस जंग में आपको सिर्फ  खेलने मात्र के लिए ही कम से कम 50 से 100 मिलियन डॉलर के निवेश की जरूरत है। हालांकि इसमें प्रवेश के लिए आप काम पैसे से भी चला सकते हैं लेकिन यहां निवेश के बिना टिके रहना बहुत मुश्किल है। आपको बाजार में हजारों शर्त वीडियो ऐप्लिकेशंस मिलेंगे लेकिन बाजार में अपना रुतबा कायम करने के लिए आपको तकनीकी सक्षमता के साथ-साथ अच्छे निवेशकों को भी साथ जोडऩा जरूरी है।

बोलो इंडिया में निवेश करने वाले आह वैंचर्स के पार्टनर अमित कुमार ने कहा कि कुछ भारतीय ऐप्लिकेशंस सर्वर के अलावा सुरक्षा और बग्स जैसी दिक्कतों का भी सामना कर रही हैं। कई ऐप्लिकेशंस नए यूजर्स का लोड सहन नहीं कर पा रहे और क्रैश हो रहे हैं। टिक- टॉक के स्तर पर पहुंचने के लिए अभी न सिर्फ  समय लगेगा बल्कि बहुत सारे पैसे की भी जरूरत होगी। यदि आप यूजर्स को बांध कर रखना चाहते हैं तो आपका ऐप्लिकेशन यूजर फ्रैंडली होना चाहिए।  सोशल मीडिया पर आने वाले लोगों में सब्र की कमी होती है लिहाजा आप तकनीकी दिक्कत को हलके में नहीं ले सकते। वैल्यूएशन के लिहाज से दुनिया के सबसे बड़े स्टार्ट अप बाईट डांस ने टिक-टॉक में निवेश किया है और भारत में इसकी लांचिंग के बाद से इसके 60 करोड़ डाऊनलोड्स हो गए हैं और यूजर रिटैंशन की चुनौती इसी डाटा से देखी जा सकती है। 

jyoti choudhary

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