नोटबंदी का असर हो रहा है कम, आर्थिक वृद्धि में भी बढ़त!

punjabkesari.in Thursday, Nov 30, 2017 - 01:51 PM (IST)

नई दिल्लीः सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के आंकड़े गुरुवार को जारी होने हैं उससे पहले के पूर्वानुमान के मुताबिक तीन सालों में सबसे धीमी वृद्धि के बाद देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि में जुलाई-सितंबर की तिमाही में सुधार दिखने की संभावना है।  रॉयटर्स ने 52 अर्थशास्त्रियों के बीच एक सर्वेक्षण कराया जिसके मुताबिक नोटबंदी के बाद मांग में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है जिससे आर्थिक वृद्धि में सुधार की संभावना दिख रही है। ऐसे में ये आंकड़े एशिया में वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार के संकेत दे रहे हैं। दुनिया के ज्यादातर देशों के कई प्रमुख केंद्रीय बैंक अब सख्त मौद्रिक नीति पर जोर देना चाहते हैं।

वर्ष 2016 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बनी। लेकिन पहले से ही आर्थिक वृद्धि की रफ्तार कम होने और 2016 नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा नोटबंदी का फैसला किए जाने से ग्राहकों के खर्च पर असर पड़ा। जुलाई में सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने का फैसला किया जिससे एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में कारोबार के तरीकों में बदलाव आया और यह अर्थव्यवस्था के लिए एक और झटका था।

रॉयटर्स के सर्वेक्षण के मुताबिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)  में जुलाई-सितंबर की तिमाही में वृद्धि की संभावना है और यह एक साल पहले की समान अवधि के 5.7 फीसदी वृद्धि के मुकाबले 6.4 फीसदी के स्तर पर जा सकता है। 30 नवंबर को जीडीपी के आंकड़े जारी किए जाएंगे और अगर यह इसी रुझान के अनुरूप रहा तो यह पांच तिमाही के धीमे रुझान को तोड़ देगा और इस कैलेंडर वर्ष की यह सबसे अच्छी दर होगी। रॉयटर्स के सर्वेक्षण पूर्वानुमान में यह वृद्धि 5.9 फीसदी से 6.8 फीसदी के दायरे में रह सकती है। इस मतदान में 52 अर्थशास्त्रियों में से किसी ने भी 5.7 फीसदी से कम वृद्धि का अंदेशा नहीं जताया।
 


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