वाहन उद्योग साल 2025 को रिकॉर्ड बिक्री के साथ करेगा विदा, 2.8 करोड़ वाहन बिक्री का अनुमान
punjabkesari.in Monday, Dec 29, 2025 - 03:06 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः साल की शुरुआत में सुस्त मांग के बाद ऑटो सेक्टर ने जबरदस्त वापसी की है। 31 दिसंबर तक कुल वाहन बिक्री 2.8 करोड़ के पार पहुंचने की उम्मीद है, जो महामारी के बाद का अब तक का सबसे मजबूत प्रदर्शन माना जा रहा है।
वाहन पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक, रविवार तक कुल बिक्री 2.79 करोड़ रही, जबकि रोजाना औसतन 77,000 से अधिक वाहन बिक रहे हैं। इस रफ्तार से साल का आंकड़ा 2.82 करोड़ के करीब पहुंच सकता है। उल्लेखनीय है कि महामारी से पहले 2018 में 2.54 करोड़ वाहनों की बिक्री हुई थी, जिसे 2024 में पहली बार पार किया गया।
उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, इस उछाल के पीछे जीएसटी 2.0 सुधार, आयकर स्लैब में बदलाव और नीतिगत ब्याज दरों में चार कटौतियां अहम कारण रहीं। इन फैसलों से उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ी और बाजार में मांग को मजबूती मिली।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस (FADA) के उपाध्यक्ष साई गिरिधर ने कहा कि सितंबर में जीएसटी सुधार लागू होने तक उद्योग की वृद्धि दर एक अंक में सीमित थी। उन्होंने बताया कि कर सुधार और ब्याज दरों में कटौती के बाद कम लागत पर फंडिंग उपलब्ध हुई, जबकि आयकर राहत से मध्यवर्ग को सीधा फायदा मिला, जिससे खरीदारी बढ़ी।
अक्टूबर में उद्योग ने 40 लाख वाहनों की रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की, जबकि नवंबर में यह आंकड़ा 33 लाख रहा। दिसंबर में भी रविवार तक 17.9 लाख वाहन बिक चुके हैं। हालांकि अगस्त तक कुल बिक्री में सालाना बढ़ोतरी सिर्फ 2.9% थी और फरवरी-मार्च जैसे महीनों में गिरावट देखी गई थी।
जीएसटी सुधार के चलते सभी श्रेणियों में वाहनों की कीमतों में 5 से 13 फीसदी तक की कटौती हुई। गिरिधर के अनुसार, उन्होंने अपने तीन दशक के करियर में कीमतों में इतनी बड़ी गिरावट पहले कभी नहीं देखी। मांग बढ़ने के बावजूद ओईएम कंपनियों ने अगस्त तक छूट जारी रखी, जिससे ग्राहकों की रुचि और बढ़ी।
उन्होंने बताया कि अब एंट्री-लेवल पैसेंजर कारें एसयूवी से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं, जो पिछले कुछ वर्षों के ट्रेंड से अलग है। इसके साथ ही ग्रामीण मांग में भी तेजी आई है, जिसे अच्छे मॉनसून और फसलों के बेहतर दामों से समर्थन मिला।
इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीकुमार कृष्णमूर्ति ने कहा कि त्योहारों के मौसम ने खपत को मजबूती दी, जबकि अच्छे मॉनसून, ग्रामीण सकारात्मकता, जीएसटी सुधार और ब्याज दर कटौती ने इसे सहारा दिया। उन्होंने आगाह किया कि आने वाले साल में वैश्विक मांग में नरमी, सप्लाई चेन बाधाएं और अमेरिकी टैरिफ जैसे जोखिमों पर नजर रखना जरूरी होगा।
