ठाकुर ने उद्योगों से कहा, सरकार के उपायों का लाभ उठाएं, आत्म-निर्भर भारत के लिए निवेश बढ़ाएं

punjabkesari.in Sunday, May 24, 2020 - 05:31 PM (IST)

नई दिल्लीः वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने भारतीय उद्योग जगत से देश को ‘आत्म-निर्भर' बनाने के लिए निवेश बढ़ाने का आह्वान किया है। ठाकुर ने कंपनियों से कहा कि वे सरकार की हालिया पहलों का लाभ उठाएं और निवेश बढ़ाने का प्रयास करें। वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि इस मुश्किल समय में स्थानीय उद्योग को ध्वजवाहक बनकर यह दिखाना चाहिए कि भारत निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य है। 

ठाकुर ने कहा कि 20.97 लाख करोड़ रुपए के आत्म-निर्भर भारत पैकेज के तहत सरकार ने उद्योग के लिए लंबे समय से लंबित संरचनात्मक सुधारों की घोषणा की हैं। इनमें भूमि, श्रम सुधार शामिल हैं। इसके पीछे मकसद निवेश के माहौल को सुधारना और कारोबार सुगमता की स्थिति को बेहतर करना है। मंत्री ने कहा कि इनके अलावा कई और साहसी सुधार भी किए गए हैं। इनमें रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा में बढ़ोतरी, छह और हवाईअड्डों का निजीकरण, वाणिज्यिक कोयला खनन में निजी क्षेत्र को अनुमति जैसे सुधार शामिल है। उन्होंने कहा कि नकदी की जरूरत को पूरा करने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। इससे उद्योगों को नकदी उपलब्ध होगी और वे अपना कामकाज फिर शुरू कर सकेंगे। 

ठाकुर ने कहा, ‘‘व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि हमें स्थानीय उद्योगों से अधिक निवेश की जरूरत है। भारतीय उद्योगों को दूसरों को दिखाना चाहिए कि भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य है। हमें घरेलू उद्योग के साथ दूसरे देशों से भी निवेश की जरूरत है।'' निवेश के नए क्षेत्रों का जिक्र करते हुए ठाकुर ने कहा, ‘‘कृषि, कृषि निर्यात, रक्षा उपकरणों के देश में ही विनिर्माण में ऐसा किया जा सकता है और इसे निर्यात का हब बनाया जा सकता है। इसके अलावा निजी क्षेत्र कोयला खनन और अन्य खनिज क्षेत्रों में अधिक निवेश आकर्षित कर सकता है।'' उन्होंने कहा कि उद्योग नवोन्मेषी तरीके अपना सकता है। 

मसलन वह कुछ सस्ता सामान आयात कर उसमें मूल्यवर्धन कर उसे ऊंचे दामों पर निर्यात कर सकता है। ठाकुर ने कहा कि आर्थिक सुधार सतत प्रक्रिया है। उन्होंने 2020 को सुधारों के साल के रूप में याद किया जाएगा। सरकार ने पिछले सप्ताह कृषि, रक्षा विनिर्माण, नागर विमानन और खनन क्षेत्रों के लिए कई घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) की परिभाषा बदलने की लंबे समय की मांग को पूरा किया गया है। किसानों को आवश्यक वस्तु अधिनियम और कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) कानून के शिकंजे से बाहर किया गया। 
 


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jyoti choudhary

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