भारी नकदी संकट से जूझ रहा है देश का दूरसंचार उद्योग: आरकॉम

punjabkesari.in Sunday, Jun 04, 2017 - 01:56 PM (IST)

नई दिल्लीः प्रमुख दूरसंचार कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) का कहना है कि कड़ी शुल्क दर स्पर्धा व ऊंचे करों ने भारतीय दूरसंचार कंपनियों को एक तरह से निचोड़ दिया है और देश का दूरसंचार उद्योग भारी नकदी ‘संकट’ का सामना कर रहा है। कंपनी का कहना है कि दूरसंचार उद्योग की इस साल की आय व इसके ऋण या भुगतान प्रतिबद्धताआें के बीच 1,20,000 करोड़ रुपए का अंतर या ‘घाटा’ है।  

कंपनी का कहना है कि दूरसंचार कंपनियों के सालाना ब्याज भुगतान, ऋण भुगतान, स्पैक्ट्रम से जुड़े शुल्क व पूंजी परिव्यय को मिला दिया जाए तो कुल राशि 1,62,000 करोड़ रुपए बनती है। वहीं 2017-18 में कंपनियों की शुद्ध आय (ईबीआईटीडीए) 43,000 करोड़ रुपए रहना अनुमानित है। एेसे में कंपनियों के लिए ऋण व अन्य भुगतान करना कठिन होगा।  

आरकॉम ने हाल ही में निवेशकों को एक प्रस्तुति में आगाह किया है- वित्त वर्ष 2017-18 में 43,000 करोड़ रुपए के घटे हुए ईबीआईटीडीए से कंपनियों की मौजूदा ऋण भुगतान व अन्य भुगतान प्रतिबद्धताआें को पूरा करना मुश्किल होगा, यह अपर्याप्त है। दूरसंचार उद्योग की ऋण मद व स्पैक्ट्रम से जुड़े बकाया के भुगतान को मिला दिया जाए तो सकल देनदारी 31 मार्च 2017 को कुल मिलाकर 7,75,000 करोड़ रुपए थी।  

इसके अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में दूरसंचार उद्योग के कारोबार में पहली बार गिरावट आई और कुल आय घटकर अनुमानत: 2.10 लाख करोड़ रुपए रह गई। इससे कंपनियों के ईबीआईटीडीए में 12,000 करोड़ रुपए की कमी आई। कंपनी का कहना है कि दूरसंचार उद्योग के कारोबार में 2017-18 में 25,000 करोड़ रुपए की और कमी आने का अनुमान है।  

उल्लेखनीय है कि ऋण के बोझ से दबी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) ने बीते सप्ताह कहा कि उसे बैंकों को कर्ज की अदायगी करने के लिए 7 महीने का समय मिल गया है। बैंकों ने रणनीतिक पुनर्गठन योजना को मंजूरी दे दी है। इसके तहत 7 महीने तक कंपनी को ऋण की किस्त नहीं चुकानी होगी। कंपनी पर कुल 45,000 करोड़ रुपए का कर्ज है।


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