नोटबंदी साल के मुकाबले 2017-18 में करदाता घटे

Friday, Oct 26, 2018 - 09:53 AM (IST)

नई दिल्लीः नोटबंदी के बाद प्रत्यक्ष कर अनुपालन में उल्लेखनीय बढ़ौतरी हुई थी लेकिन अब उसकी रफ्तार धीमी पड़ती नजर आ रही है। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सी.बी.डी.टी.) की ओर से जारी आंकड़ों से कुछ ऐसा ही पता चलता है। नोटबंदी के साल आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या उससे पिछले साल की तुलना में 13.5 फीसदी बढ़ी थी लेकिन 2017-18 आकलन वर्ष में रिटर्न भरने वालों की संख्या महज 0.8 फीसदी बढ़ी, जो हाल ही के समय में सबसे कम है।

आंकड़ों के लिहाज से 2015-16 आकलन वर्ष में 4.36 करोड़ आयकर रिटर्न भरे गए थे, जो 2016-17 में बढ़कर 4.95 करोड़ पहुंच गया जबकि 2017-18 आकलन वर्ष में 4.99 करोड़ रिटर्न भरे गए। हालांकि रिटर्न की संख्या में कम वृद्धि होने के बावजूद आय में मजबूत वृद्धि देखी गई। आकलन वर्ष 2015-16 में रिटर्न भरने वालों की ओर से 33.6 लाख करोड़ रुपए आय की घोषणा की गई थी, जो 2016-17 में 38.52 लाख करोड़ रुपए हो गई और 2017-18 में बढ़कर करीब 43 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई।

रिटर्न की संख्या में तेजी नहीं लेकिन आय बढ़ी
इस तरह से देखें तो रिटर्न की संख्या में भले ही उतनी तेजी नहीं आई लेकिन दूसरी ओर आय खासी बढ़ी है। इसकी वजह यह भी हो सकती है कि 0 से 2.5 लाख रुपए सालाना आय और 2.5 से 5 लाख रुपए सालाना आय स्लैब में रिटर्न भरने वालों की संख्या 2017-18 में कम हुई है। इन्हीं दो स्लैब में तीन-चौथाई रिटर्न भरे जाते हैं और आकलन वर्ष 2017-18 में इस स्लैब में रिटर्न घटे हैं। उच्चतम स्लैब में स्थिति अलग है।

2017-18 में 6 राज्यों में प्रत्यक्ष कर संग्रह घटा
आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में 6 राज्यों से प्रत्यक्ष कर संग्रह में कमी आई है। बड़े राज्यों में सबसे तेज गिरावट उत्तर प्रदेश से आई है जबकि दूसरे व तीसरे स्थान पर राजस्थान और बिहार हैं। मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम अन्य राज्य हैं, जहां संग्रह कम हुआ है। इसके अलावा केन्द्र शासित क्षेत्र दमन और दीव से भी संग्रह घटा है। अगर कुल मिलाकर देखें तो प्रत्यक्ष कर संग्रह में 2017-18 में 18 फीसदी बढ़ौतरी हुई है और यह 2016-17 के 8.49 लाख करोड़ से बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपए हो गया है।
 

Supreet Kaur

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