NPA पर लगाम के लिए तत्काल उठाएं आवश्यक कदमः संसदीय समिति

Monday, Dec 25, 2017 - 10:37 AM (IST)

नई दिल्लीः संसद की याचिका समिति ने बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एन.पी.ए.) यानी वसूल नहीं हो रहे ऋणों के बढ़ते स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए सरकार से कहा है कि वह बैंकिंग तंत्र में संकटग्रस्त परिसंपत्तियों का बोझ कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाए तथा निगरानी व्यवस्था और मजबूत बनाए। संसद में प्रस्तुत अपनी एक ताजा रिपोर्ट में समिति ने कहा है उसे यह काफी बेबसी की बात है कि बैंकिंग प्रणाली में निगरानी व्यवस्था होने के बाद भी एन.पी.ए. से संबंधित फर्जीवाड़े की घटनाएं होती जा रही हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इस संबंध में समिति का मानना है कि सरकार या रिजर्व बैंक के परामर्श या दिशानिर्देश जारी कर देने मात्र का एन.पी.ए. पर शायद ही कोई असर पड़ा है और रिजर्व बैंक एक नियामक के तौर पर अपने ही दिशानिर्देशों का लागू करा पाने में अब तक सफल नहीं हुआ है। यह चिंता की बात है।’’ समिति ने इस बाबत सुझाव दिया कि सरकार रिजर्व बैंक से कहे कि वह बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों में नियमों और निर्देशों के अनुपालन की नियमित निगरानी करे। उसने मौजूदा सतर्कता व्यवस्था की समीक्षा करने तथा जरूरत होने पर इसे और सख्त बनाने के लिए संशोधन का भी सुझाव दिया।

समिति ने ऋण डिफॉल्टरों के नाम को सार्वजनिक करने संबंधी मौजूदा प्रावधानों की वस्तुपरक जांच और विश्लेषण करने का सुझाव दिया है। उसका कहना है कि इस मामले में मौजूदा नियमों व कानूनों में यह ध्यान रखते हुए संशोधन पर विचार किया जाना चाहिए कि ऋण संकट में फंसी संकट ग्रस्त कारोबारी इकाइयों को उबारा जा सके और उनके कारोबार की व्यवहार्यता पर बुरा प्रभाव न पड़े। समिति ने रिजर्व बैंक द्वारा इरादतन डिफॉल्टरों का नाम सार्वजनिक करने का पक्ष लेने की सराहना की।   
 

Advertising