तनाव के बावजूद जारी है भारत-पाक के बीच व्यापार

Tuesday, Oct 04, 2016 - 03:03 PM (IST)

नई दिल्लीः सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बावजूद सीमापार व्यापार पहले की तरह जारी है। अकेले आजादपुर मंडी से ही रोजाना टमाटर लदे 60-70 ट्रक पाकिस्तान जा रहे हैं और वहां से भी कई चीजें आ रही हैं। हालांकि अटारी चेकपोस्ट पर ट्रकों की गहन छानबीन की वजह से डेली ट्रांजिट में कमी आई है और ट्रकों को घंटों इंतजार भी करना पड़ रहा है।

आजादपुर मंडी से पाकिस्तान टमाटर सप्लाई करने वाले ट्रेडर विकास बजाज बताते हैं, ‘दोनों देशों के बीच जिस तरह की सियासी तल्खी पैदा हुई है, उसका व्यापार पर कोई खास असर नहीं दिख रहा। अब भी यहां से 60-70 ट्रक टमाटर रोज जा रहे हैं। हालांकि पीक डिमांड के वक्त 150 से ज्यादा ट्रक भी जाते हैं लेकिन मौजूदा हालात में इतनी सप्लाई भी सामान्य है।’

कारोबारी बताते हैं कि सर्जिकल स्ट्राइक के अगले दिन बाघा-अटारी रूट से टमाटर के 100 से ज्यादा ट्रक रवाना हुए थे। दोनों देशों की ओर से सीमा पर सतर्कता और सुरक्षा बंदोबस्त की वजह से गुड्स ट्रांजिट की रफ्तार धीमी हुई है। बॉर्डर पर ट्रकों की कतार ना लगे इसके लिए एजैंसियां ट्रेडर्स को भी सूचित कर रही हैं लेकिन अभी तक बुकिंग या सप्लाई बंद करने के संकेत कहीं से नहीं मिले हैं।

टोमैटो ट्रेडर्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट अशोक कौशिक बताते हैं कि उड़ी हमले के बाद से टमाटर की डिमांड घटने लगी थी। यह सामान्य बात है कि जब भी बॉर्डर पर तनाव के हालात बनते हैं, वहां के ट्रेडर काबुल, बलूचिस्तान और स्वात घाटी से टमाटर मंगाने की कोशिश करते हैं। हालांकि यह विकल्प सीजनल होता है। कारोबारियों का कहना है कि जो ट्रक टमाटर लेकर जाते हैं, वहां से कुछ ना कुछ लादकर आते हैं। एग्री प्रॉडक्ट्स में पाकिस्तान से सबसे ज्यादा आवक सूखे खजूर की होती है।

एपीएमसी आजादपुर के पूर्व चेयरमैन राजेंद्र शर्मा कहते हैं कि भारत-पाकिस्तान के बीच टमाटर का व्यापार इस स्तर का है कि जैसे ही एक्सपोर्ट घटता है, यहां दाम गिरने लगते हैं। ऐसे में तनाव की वजह से यदि टमाटर जाना कम होता है तो यह स्थानीय ग्राहकों के लिए अच्छी बात होगी। उन्होंने बताया कि कश्मीर घाटी में पिछले दो महीने से जारी कर्फ्यू और तनाव के बावजूद वहां से फलों की सप्लाई नहीं घटी है।

चूंकि घाटी में लोकल दुकानें और बाजार बंद हैं, ऐसे में वहां के किसान और ट्रेडर ज्यादा से ज्यादा माल बाहर भेजने में लगे हैं। यही वजह है कि सेब की सप्लाई इस बार ज्यादा हुई है, लेकिन यहां से जाने वाला माल घटा है। स्थानीय ट्रेडर सुरक्षा कारणों से माल भेजने में कतरा रहे हैं।

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