इंटरनैशनल कोर्ट में बड़ा केस हारा भारत, 67 अरब रु. का हो सकता है नुक्सान

Tuesday, Jul 26, 2016 - 02:17 PM (IST)

हेगः भारत 2 सैटलाइट्स और स्पैक्ट्रम वाली डील कैंसल करने से जुड़ा बहुत बड़ा केस अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में हार गया है। अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता के मामले में मात खाना भारत के लिए महंगा पड़नेवाला है और इसके साथ ही इसरो की अंतर्रीष्ट्रीय साख प्रभावित होने की आशंका है। 
 
केस हारने से देश को करीब 67 अरब रुपए नुक्सान होने की आशंका है। इतना ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों की नजर में भी देश की छवि खराब हो सकती है। देवास मल्टिमीडिया द्वारा दायर मामले में हेग के इंटरनैशनल ट्राइब्यूनल ने भारत सरकार के खिलाफ फैसला दिया।
 
इंडियन स्पेस ऐंड रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के कमर्शल आर्म ऐंट्रिक्स ने साल 2005 में यह कॉन्ट्रैक्ट कैंसल किया था। देवास ने 2015 में अंततराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय में भारत सरकार के खिलाफ मुकदमा कर दिया क्योंकि इसरो सरकार की ही संस्था है।
 
डील के मुताबिक ऐंट्रिक्स एस-बैंड स्पेक्ट्रम में लंबी अवधि के दो सैटलाइट्स ऑपरेट करने पर राजी हो गया था। लेकिन, बाद में उसने डील कैंसल कर दी। ट्राइब्यूनल ने कहा कि डील कैंसल कर सरकारा ने उचित नहीं किया जिससे देवास मल्टिमीडिया के निवेशकों को बड़ा नुक्सान हुआ।
 
मामले से जुड़ी अहम तथ्य 
* हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय पंचाट (इंटरनैशनल ट्रिब्यूनल) में भारत सरकार के खिलाफ यह मामला बैंगलूर स्थित टैलीकॉम कम्पनी दिवास मल्टीमीडिया ने दर्ज करवाया था।
* वर्ष 2005 में दिवास से कहा गया था कि वह बेहद कम उपलब्धता वाले एस-बैंड का इस्तेमाल कर सकती है और इसके लिए उसे 2 भारतीय उपग्रहों पर स्थान उपलब्ध करवाया गया था।
* दिवास मल्टीमीडिया के साथ यह समझौता सरकारी एजैंसी भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (इंडियन स्पेस एंड रिसर्च ऑर्गेनाइज़ेशन - इसरो) की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स ने किया था। एंट्रिक्स का काम इसरो की सेवाओँ को निजी कम्पनियों को उपलब्ध करवाकर धनार्जन करना ही है।

 

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