...अब थाली में होंगी अफ्रीका की दालें

Thursday, Jul 07, 2016 - 12:50 PM (IST)

नई दिल्ली: अब वह दिन दूर नहीं जब आपकी थाली में रखी अरहर दाल मेड इन मोजांबिक होगी। कुछ अर्से बाद हो सकता है कि आपकी थाली में मोजांबिक की दाल का जायका हो। दाल तो मोजांबिक की होगी, लेकिन खास तौर पर भारत के लिए ही उगाई गई होगी। दरअसल दालों के भाव में कमोबेश हर वर्ष आने वाली तेजी से निपटने तथा दालों का बफर स्टॉक बढ़ाने के लिए सरकार इस तरह की योजना बना रही है।

सरकार 8 लाख टन दालों के इस स्टॉक का बड़ा हिस्सा आयात के जरिए ही पूरा करेगी और इसी के लिए मोजांबिक में केवल भारतीयों के लिए दाल उगाने पर विचार किया जा रहा है। अब नए फार्मूले के अनुसार हर वर्ष भारत सरकार मोजांबिक से 1 लाख टन दालों का आयात करेगी। दालों की मांग और उत्पादन में बड़े अंतर को पाटने के लिए केंद्र सरकार ने मोजांबिक के साथ लम्बी अवधि के करार को अंतिम रूप दे दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा में एम.ओ.यू. को अंतिम रूप देंगे।

प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी बुधवार से 5 दिवसीय विदेश यात्रा पर हैं। उनका पहला पड़ाव मोजांबिक में होगा। वह चाहते हैं कि देशवासियों को मांग के अनुरूप दालें उपलब्ध हों। दलहन की खेती का क्षेत्रफल बढ़ाने पर जोर देने के बाद भी जब स्थानीय किसान मांग के साथ दालों का उत्पादन बढ़ाने में नाकामयाब रहे तो फौरन तौर पर मोजांबिक के रूप में प्रधानमंत्री को एक बड़ा सहारा दिख रहा है। वहां के खेत अरहर और तुर दालों के लिए बेहद उपयोगी हैं। पहले खेतों को ही लीज पर लेकर अपने स्वाद के लिए दालों की खेती का मसौदा तैयार किया गया था। मोजांबिक सरकार राजी भी थी, मगर राजनीतिक कारणों से इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

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