लापरवाही से बेटे की हुई मौत, अब डाक्टर देंगे हर्जाना

Saturday, Apr 14, 2018 - 01:46 AM (IST)

लखनऊ: बेटे की मौत से टूट चुके पिता को आखिरकार न्याय मिल ही गया। जिला उपभोक्ता फोरम ने आरोपी डॉक्टरों पर लगाए गए गंभीर आरोपों को सही ठहराते हुए पीड़ित पिता को 45 दिन में हर्जाना देने के आदेश दिए। 

क्या है मामला
उन्नाव निवासी काशी प्रसाद शुक्ला ने बताया कि उसके पुत्र का एक्सीडैंट 8 जुलाई 2006 को हुआ था। इस दौरान उसके पैरों में गंभीर चोट आई। ट्रोमा में संतुष्टि न होने के कारण उसने पुत्र को सिविल अस्पताल में दिखाया। डॉ. जे.सी. गुप्ता ने उसका ऑप्रेशन एक नर्सिंग होम में यह कहकर किया कि सिविल अस्पताल में सुविधाएं नहीं हैं। 

ऑप्रेशन कर इंप्लांट लगाया गया। जिसका खर्च करीब एक लाख रुपए आया था। उसके पुत्र को डॉक्टर ने सिविल अस्पताल में यह कहकर शिफ्ट करा लिया था कि वह उसकी देखरेख व पट्टी करते रहेंगे लेकिन घायल के जख्मों से लगातार मवाद आ रहा था। इसके लिए उक्त डॉक्टर द्वारा उसे लगातार एंटीबायोटिक व पेन किलर दिया जाता रहा। काफी दिन बाद भी आराम न मिलने पर भुक्तभोगी ने डॉ. यू.एस. मिश्रा को दिखाया। उन्होंने भी इलाज किया लेकिन समस्या बढ़ती गई। अंत में विवेकानंद अस्पताल में दिखाया गया जहां डॉक्टरों ने संक्रमण के चलते पैर काटने की सलाह दी लेकिन परिवारजन तैयार नहीं हुए। इसके बाद डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर बताते हुए घर ले जाने की सलाह दी। उसी दिन उसकी रात में मृत्यु हो गई। बेटे की मौत से टूट चुके पिता ने डॉक्टरों को मौत के लिए जिम्मेदार मानते हुए उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई। 

यह कहा फोरम ने
फोरम के अध्यक्ष अरविंद कुमार व न्यायिक सदस्य राजर्षि शुक्ला ने सभी पक्षों को सुनने के बाद डॉ. जे.सी. गुप्ता व डॉ. यू.एस. मिश्रा को जिम्मेदार ठहराते हुए डॉ. गुप्ता को 75 हजार रुपए 9 प्रतिशत ब्याज के साथ देने के आदेश दिए हैं। वहीं डॉ. मिश्रा को 40 हजार रुपए 9 प्रतिशत ब्याज के साथ देने होंगे। इसके अलावा सेवा में त्रुटि के लिए दोनों को ही एक-एक लाख रुपए व मानसिक एवं शारीरिक कष्ट के लिए 50-50 हजार के अलावा वाद व्यय के 10-10 हजार रुपए अलग से दिए जाने के आदेश दिए हैं। डॉ. गुप्ता को सरकारी सेवा में होने के बावजूद कदाचार में लिप्त होने के कारण 50 हजार रुपए अलग से दिए जाने के भी आदेश दिए। 

Punjab Kesari

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