कुछ फर्में ‘कम का बिल'' बना कर चोरी, कारोबार का नुकसान कर रही हैं: साइकिल विनिर्माता

Monday, Sep 23, 2019 - 06:24 PM (IST)

चंडीगढ़ः साइकिल विनिर्माताओं का कहना है कि लुधियाना में कुछ निहित स्वार्थी डीलरों द्वारा साइकिल बिलों में गड़बड़ी करने की वजह से संगठित क्षेत्र में कारोबार करने वालों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसकी वजह से माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की चोरी भी हो रही है। संगठित क्षेत्र में साइकिल विनिर्माण करने वालों ने सोमवार को कहा कि उनके लिए अपने मौजूदा बाजार हिस्से को बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। कुछ निहित स्वार्थी कारोबारियों द्वारा साइकिल के दाम कम करके दिखाना और अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने की वजह से ऐसा हो रहा है। 

विनिर्माताओं का कहना है कि एक साधारण साइकिल का दाम 2,500 रुपए तक पड़ता है जबकि अवैध कारोबार करने वाले कुछ विनिर्माता इसका 900 रुपए का बिल बना रहे हैं। कम दाम का बिल बनाने की वजह से उस पर जीएसटी की भी चोरी हो रही है। साइकिल पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है। बिल लागत से कम दाम पर बनाने से अवैध कारोबार करने वाले डीलर जीएसटी की चोरी कर रहे हैं। एक प्रमुख साइकिल ब्रांड विनिर्माता ने यह जानकारी दी। 

वैध कारोबार करने वाले विनिर्माताओं का कहना है कि सस्ता माल बेचने और कर चोरी कर रातों रात मुनाफा कमाने वाले साइकिल डीलर साइकिल विनिर्माण की पूरी मूल्य श्रंखला में जीएसटी चोरी कर रह हैं। उनका कहना है कि इससे कर अनुपालन के साथ काम करने वालों के समक्ष आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। साइकिल विनिर्माताओं का कहना है कि साइकिल एक ऐसा उत्पाद है जिसमें जीएसटी चोरी की आशंका सबसे ज्यादा रहती है। 

साइकिल के सालभर में बिकने वाले दो करोड़ से अधिक यूनिटों में से यह सच्चाई है कि 80 प्रतिशत साइकिलें कम मार्जिन के साथ 5,000 रुपए से कम दाम पर बेची जातीं हैं। विनिर्माताओं का कहना है कि यदि इस तरह की अवैध गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया गया तो लुधियाणा स्थित साइकिल विनिर्माण केन्द्र केवल व्यापार केन्द्र बनकर रह जाएगा। देश का 90 प्रतिशत साइकिल विनिर्माण कारोबार लुधियाणा में होता है। 

jyoti choudhary

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