भारत से पंगा लेना पाक को पड़ा भारी, हरी मिर्च ने निकाले धुएं

Wednesday, Mar 13, 2019 - 02:57 PM (IST)

नई दिल्लीः पुलवामा हमले के बाद से पाकिस्तान की सब्जी मंडी में आग लगी हुई है। हालत यह है कि पाक में फल एवं सब्जी के दाम आसमान छू रहे हैं। पुलवामा हमले से पहले भारत से टमाटर एवं कई हरी सब्जी की पाकिस्तान में सप्लाई हो रही थी जिसे रोक दिया गया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि पाकिस्तान की मंडियों में किसी भी फल-सब्जी की कीमत 100 रुपए प्रति किलोग्राम से कम नहीं है। पाकिस्तान के मशहूर अखबार डॉन में छपी खबर के मुताबिक 12 मार्च, 2019 को लाहौर की मंडी में हरी मिर्च की कीमत 400 रुपए किलोग्राम हो गई। वहीं टमाटर के भाव लाहौर के खुदरा बाजार में 200 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए। भारत के अमृतसर से सटे पाकिस्तान के लाहौर में तो मुख्य रूप से भारत के ही टमाटर एवं कई हरी सब्जी की आपूर्ति होती थी।

हरी मिर्च की बिक्री बंद 
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल की समान अवधि में लाहौर में टमाटर की औसत कीमत 24 रुपए प्रति किलोग्राम थी लेकिन इस साल सभी सब्जी-फल के दाम 100-200 रुपए प्रति किलोग्राम चल रहे हैं। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में हरी मिर्च के दाम शायद ही कभी 100 रुपए किलोग्राम से ऊपर गए होंगे लेकिन पिछले एक महीने से लोकल बाजार में हरी मिर्च की कीमत 400 रुपए प्रति किलोग्राम चल रही है। लाहौर के बाजार में हालत यह है कि सब्जी विक्रेताओं ने अपनी रेहड़ी पर हरी मिर्च की बिक्री बंद कर दी है। लाहौर में सब्जी विक्रेताओं को हरी मिर्च नहीं बेचने पर प्रशासन की तरफ से जुर्माना किया जा रहा है।

200 रुपए किलो पहुंचे टमाटर के दाम
पाकिस्‍तान में टमाटर का भाव आसमान छू रहा है। लाहौर में टमाटर 200 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। पुलवामा अटैक के बाद पाकिस्तान को सबसे ज्यादा फल-सब्जियां सप्लाई करने वाली आजादपुर मंडी में व्यापारियों ने वहां माल नहीं भेजने का फैसला किया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अटारी-बाघा मार्ग से यहां से रोजाना 75 से 100 ट्रक टमाटर जा रहा था लेकिन इस घटना के बाद ट्रेडर्स ने इसे रोक दिया है। हालांकि अब तनाव कम होने के बाद श्रीनगर से पाकिस्तान के कब्जे वाले चकोटी के बीच ट्रकों की आवाजाही शुरू हो गई है। रावलपिंडी और लाहौर के बाजारों में भारत से आई सब्जियों से लदे ट्रक पहुंचने लगे हैं। यह सप्लाई आम रूट अब भी बंद होने से ट्रेडर्स को यह महंगा पड़ रहा है। अभी सिर्फ श्रीनगर-मुजफ्फराबाद मार्ग से ही माल जा रहा है, जिसका ढुलाई खर्च अटारी रूट के मुकाबले दो से चार गुना तक बढ़ गया है।

jyoti choudhary

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