डीजल कारों की ब्रिकी की धीमी पड़ती रफ्तार

Tuesday, Jul 31, 2018 - 12:22 PM (IST)

नई दिल्लीः अमेरिकी कार विनिर्माता फोर्ड ने 3 महीने पहले जब अपना नया कॉम्पैक्ट यूटिलिटी वाहन फ्रीस्टाइल को भारत में उतारा था तब वह उम्मीद कर रही थी कि इसके पेट्रोल और डीजल संस्करण की मांग लगभग बराबर रहेगी। हालांकि नतीजे चकित करने वाले रहे क्योंकि घरेलू बाजार में कुल बुकिंग में 65 फीसदी पेट्रोल संस्करण के वाहनों की रही और डीजल की मांग केवल 35 फीसदी दर्ज की गई। 

डीजल के मुकाबले पेट्रोल वाहन खरीद रहे लोग
एक महीने पहले होंडा ने नई अमेज बाजार में उतारी और इसकी मांग भी फोर्ड की फ्रीस्टाइल की तरह रही। वर्तमान रुझान 2013 के एकदम उलट है जब अमेज की पहली पीढ़ी को उतारा गया था। उस समय डीजल संस्करण की मांग 80 फीसदी थी और कंपनी को डीजल मॉडल का उत्पादन बढ़ाना पड़ा था लेकिन अब स्थिति बदल गई है और खरीदार पेट्रोल संस्करण वाले वाहनों को तवज्जो दे रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि डीजल और पेट्रोल की कीमतों का अंतर काफी कम हो गया है। दिल्ली जैसे शहरों में डीजल वाहनों की बिक्री पर हाल के समय में रोक भी लगाई गई थी। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जून तिमाही में नई कारों की बिक्री में डीजल संस्करण की हिस्सेदारी घटकर 22 फीसदी रह गई है, जो वित्त वर्ष 2014 में 42 फीसदी थी।

महंगी हो सकती हैं डीजल की कारें 
डीजल कारों की बिक्री में आगे और कमी आ सकती है। अप्रैल 2020 में भारत स्टेज-6 उत्सर्जन मानक लागू होने से डीजल और पेट्रोल कारों के बीच अंतर काफी बढ़ जाएगा, जिससे डीजल की कारें महंगी हो सकती हैं। मारुति सुजूकी के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक सीवी रमन ने कहा, 'फिलहाल डीजल और पेट्रोल कार की कीमत में करीब एक लाख रुपए का अंतर है लेकिन बीएस-6 लागू होने के बाद यह अंतर बढ़कर दो लाख रुपए से अधिक हो सकता है। ऐसे में खरीदार पेट्रोल वाहनों को खरीदना पसंद करेंगे। हम पेट्रोल वाहनों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए तैयार हैं।' कुछ विनिर्माताओं को पहले ही यह अंदाजा लग गया था और इसके अनुसार ही वह केवल पेट्रोल की रणनीति पर काम कर रहे हैं।  
 

jyoti choudhary

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