2 अक्टूबर से देशभर में बंद होने जा रही Single-use Plastic, जानिए इससे होने वाले नुकसान

Saturday, Sep 28, 2019 - 04:10 PM (IST)

नई दिल्लीः भारत में बढ़ते प्रदूषण को खत्म करने के लिए मोदी सरकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर सिंगल यूज़ प्लास्टिक के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू करने जा रही है। केंद्र सरकार की पूरी कोशिश है कि 2 अक्टूबर से पहले प्लास्टिक बैग्स, प्लास्टिक कटलरी और थरमॉकॉल से बनी कटलरी का उत्पादन बंद हो। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक को पूरी तरह से समाप्त करने की बात कह चुके हैं।
 
क्‍या है सिंगल-यूज प्लास्टिक?
आज हम आपको बताएंगे कि सिंगल-यूज प्लास्टिक किसे कहते हैं? ऐसा प्लास्टिक जिसका इस्तेमाल हम सिर्फ एक बार करते हैं और फिर वह डस्‍टबिन में चला जाता है। सीधे शब्दों मे कहें तो इस्तेमाल करके फेंक दी जाने वाली प्लास्टिक ही सिंगल-यूज प्लास्टिक कहलाता है। इसे हम डिस्पोजेबल प्‍लास्टिक भी कहते हैं। इसका इस्तेमाल हम अपने रोजमर्रा के काम में करते हैं, जैसे- प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्रॉ, कप, प्लेट्स, फूड पैकजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और कॉफी की डिस्पोजेबल कप्स आदि।

कितनी खतरनाक?
इस तरह की प्लास्टिक के अंदर जो रसायन होते हैं, उनका इंसान और पर्यावरण के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है। प्लास्टिक की वजह से मिट्टी का कटाव काफी होता है। इसके अंदर का केमिकल बारिश के पानी के साथ जलाशयों में जाता है, जो काफी खतरनाक है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल करीब 11 लाख समुद्री पक्षियों और जानवरों की प्लास्टिक की वजह से मौत होती है। इसके अलावा 90 फीसदी पक्षियों और मछलियों के पेट में प्लास्टिक पाई गई। दरअसल प्लास्टिक छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर समुद्र के अंदर रहती है। जब समुद्र के अंदर भोजन की तलाश में मछलियां और अन्य समुद्री जानवर जाते हैं तो वे गलती से इसका सेवन कर जाते हैं।

रेलवे स्टेशनों पर बैन होगी पॉलीथीन
पीएम मोदी की इस अपील के बाद रेलवे ने भी इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया है। रेल मंत्रालय ने पर्यावरण को प्‍लास्टिक के खतरे से बचाने के लिए अपने सभी रेलवे इकाइयों को इसके इस्तेमाल पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। रेलवे बोर्ड ने IRCTC को भी निर्देश दिया है कि प्लास्टिक की पानी की बोतलों को वह वापस बोतल निर्माता कंपनियों को भेजे। इसमें कहा गया है कि इस तरह के कूड़े को इकट्ठा करना भी बोतल बनाने वालों की ज़िम्मेदारी है। रेल मंत्रालय ने प्लास्टिक बोतलों को मशीन से तोड़कर ख़त्म करने के लिए ऐसी मशीनों को बड़ी संख्या में इस्तेमाल करने की भी सलाह दी है।

प्लास्टिक की जगह यूज करें ये बैग्स
प्लास्टिक के खिलाफ बड़े अभियान के बाद मार्केट से प्लास्टिक बैग्स गायब होने लगे हैं। इसके चलते सबसे ज्यादा परेशानी आम लोगों को सब्जी, किराना, फल आदि चीजें लेने के दौरान हो रही है क्योंकि इन्हें हाथों में भी कैरी नहीं किया जा सकता है। हम बता रहे हैं कुछ ऑप्शन्स जो आपकी इस परेशानी को दूर कर देंगे।

  • कॉटन बैगः कॉटन फैब्रिक से बने ये बैग्स कई तरह की स्टाइल में मिलते हैं। किसी बैग में पतला कपड़ा यूज किया गया होता है तो किसी में मोटा। साथ ही में अंदर के भाग के लिए भी अलग-अलग मटैरियल इस्तेमाल किया जाता है।
  • कैन्वस बैगः कॉटन बैग के मुकाबले ज्यादा मजबूत होते हैं। इनमें आप आसानी से आलू, प्याज, दूध जैसी वजनदार चीजें कैरी कर सकते हैं। इनके फटने का डर बहुत कम होता है।
  • जूट बैगः मार्केट में आपको कई स्टाइलिश जूट बैग मिल जाएंगे जिन्हें आप न सिर्फ सब्जी या ग्रोसरी खरीदने के लिए बल्कि पर्स के ऑप्शन के रूप में भी कैरी कर सकती हैं।
  • बैंबू बैगः बांस से बने बैग थोड़े से भारी हो सकते हैं, इसलिए ऐसे बैग्स चुनें जो बने तो बांस से हों लेकिन हल्के हों। बैंबू बैग्स को आप समर ड्रेस के साथ कैरी करेंगी तो स्टाइल भी बढ़ जाएगा।
  • डेनिम बैगः डेनिम से बने बैग भी मजबूत होते हैं। चाहे तो आप अपनी पुरानी जींस या जैकेट को टेलर के पास देकर उससे भी बैग बनवा सकती हैं।
  • पेपर बैग्सः पेपर बैग्स भी प्लास्टिक बैग्स की जगह इस्तेमाल किए जा सकते हैं। हालांकि, इसमें ज्यादा भारी सामान कैरी नहीं किया जा सकता, इसलिए बैग का चुनाव ध्यान से करें।

Supreet Kaur

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