शिप ब्रेकिंग यार्ड में छाया सन्नाटा, 2 साल से मंदी

Tuesday, Apr 18, 2017 - 11:15 AM (IST)

अहमदाबाद : गुजरात के भावनगर के इस अलंग यार्ड पर बड़े-बड़े जहाज तोड़े जाते हैं लेकिन एशिया के इस सबसे बड़े शिप ब्रेकिंग यार्ड में इन दिनों कुछ सन्नाटा है। करीब 2 साल से यहां भारी मंदी है। बंगलादेश और पाकिस्तान से बढ़ती प्रतिस्पर्धा की वजह से गुजरात के अलंग में जहाज तोडऩे के व्यवसाय में 2016-17 की चौथी तिमाही के दौरान लगभग 50 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई। जनवरी-मार्च के दौरान सिर्फ 64 जहाज ही तोडऩे के लिए भेजे गए जबकि 2016 की समान अवधि में यह संख्या 120 थी।

जहाज जोडऩे वाली कम्पनियों के अनुसार दोनों पड़ोसी देश पाकिस्तान और बंगलादेश जहाजों के लिए ऊंची कीमत की पेशकश कर रहे हैं क्योंकि वे री-साइकल्ड स्टील पर निर्भर हैं। उनकी लगभग 40 प्रतिशत जरूरत री-साइकल्ड स्टील यानी पुराने इस्पात को री-साइकल्ड कर पूरी की जाती है जबकि भारत में री-साइकल्ड इस्पात का इस्तेमाल महज 3 प्रतिशत है। भारत 370-380 डॉलर प्रति टन की पेशकश करता है जबकि पाकिस्तान और बंगलादेश इसके मुकाबले 10-15 डॉलर अधिक चुका रहे हैं।

अन्य कारण बाल्टिक ड्राई इंडैक्स (बी.डी.आई.) में तेजी आना है जो भाड़ा दरों के लिए प्रमुख संकेतक है। जब यह इंडैक्स ऊपर जाता है तो कुछ ही जहाज री-साइकिलंग के लिए आते हैं। 2 सप्ताह पहले 1338 की 2 वर्ष की ऊंचाई पर पहुंच जाने के बाद बी.डी.आई. अप्रैल के पहले सप्ताह में गिरकर 1215 पर आ गया लेकिन दूसरे सप्ताह में यह चढ़कर 1296 अंक पर पहुंच गया। शिप री-साइकलिंग इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जिवराज पटेल ने कहा कि बी.डी.आई. में उतार-चढ़ाव जहाज तोडऩे के व्यवसाय को प्रभावित करता है। मौजूदा समय में यह ऊंचाई पर है। इससे जहाज कीमतें पिछले 2 महीनों में 50 डॉलर प्रति टन तक बढ़ी हैं।

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