शुल्क वसूलीः ढोल बजाना होगा बंद, सेबी को सम्पित्तयां बेचने का अधिकार!
Monday, Mar 18, 2019 - 10:26 AM (IST)
नई दिल्लीः किसी नीलामी के लिए ढोल बजाकर या मुनादी लगा कर जनता को आकर्षित करने के अपने फायदे होते होंगे पर बाजार विनियामक सेबी को लगता है कि ये तरीके बीते जमाने की बात हो गए हैं और आज के समय में नए तरीकों से अधिक अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) को शुल्क भरने में चूक करने या आदेश के अनुसार भुगतान न करने वाली इकाइयों की सम्पत्ति बेच कर वसूली करने के अधिकार हैं। इन अधिकारों की समीक्षा के समय नीलामी के दौरान अपनाए जाने वाले इन पुराने तरीकों की बात सामने आई।
सेबी वित्त मंत्रालय से कर रहा परामर्श
अधिकारियों ने कहा कि सेबी जुर्माना, शुल्क, वसूली की राशि या रिफंड के आदेश के संबंध में वसूली के नए नियम तैयार करने के लिए वित्त मंत्रालय से परामर्श कर रहा है। सेबी के अनुसार अखबारों में विज्ञापन और ई-नीलामी जैसे नए तरीके बेहतर परिणाम दे सकते हैं।
नियमों में संशोधन का अधिकार केंद्र सरकार के पास
सेबी ने वसूली के तेज और प्रभावी तरीकों को अमल में लाने के लिए सरकार को नियमों में आवश्यक संशोधन करने को कहा है। मंत्रालय ने सेबी के सुझाव के जवाब में कहा कि आई.टी. अधिनियम के वसूली के प्रावधानों को सेबी अधिनियम के तहत संशोधित किया जा सकता है और यह अधिकार केंद्र सरकार के पास है। अत: इसमें संशोधन केंद्र सरकार के बनाए नियमों के आधार पर ही होना चाहिए।
राइट इश्यू सूचीबद्धता समय में कमी लाने पर हो रहा विचार
सेबी राइट इश्यू शेयरों की सूचीबद्धता में लगने वाले समय में कमी लाने पर विचार कर रहा है। इससे पहले नियामक शेयर सूचीबद्धता में लगने वाले समय में कमी लाने का प्रस्ताव ला चुका है। पिछले साल सितंबर में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आई.पी.ओ. के बाद शेयर सूचीबद्ध कराने का समय 6 दिन से से कम कर 3 दिन करने का निर्णय किया। सेबी का निर्देश इस साल जुलाई से अमल में आ सकता है।