SEBI ने ETF और इंडेक्स फंड के लिए नियमों में ढील देने का प्रस्ताव रखा

Saturday, Feb 24, 2024 - 03:31 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः सेबी ने इंडेक्स फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स के प्रदर्शन को और बेहतर बनाने के लिए निवेश से जुड़े नियमों में नरमी का प्रस्ताव रखा है। नियमों में बदलाव का मुख्य उद्देश्य स्कीम के द्वारा जितना हो सके उतना बेंचमार्क इंडेक्स के अनुसार निवेश करना है। दरअसल स्कीम किसी बेंचमार्क को फॉलो करती है लेकिन मौजूदा नियम कुछ खास स्थितियों में निवेश की सीमा को तय करते हैं जिससे स्कीम बेंचमार्क इंडेक्स को पूरी तरह फॉलो नहीं कर पाती। नए नियमों के तहत ऐसे ही कुछ नियमों में राहत का प्रस्ताव है इससे निवेशकों को दिए गए बेंचमार्क इंडेक्स के अनुसार या उससे बेहतर रिटर्न पाने में मदद मिलेगी।

क्या है प्रस्ताव

मौजूदा नियमों के मुताबिक इंडेक्स फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानि ईटीएफ उन कंपनियों के लिस्टेड स्टॉक में अपने नेट एसेट्स के 25 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं कर सकते हैं जो ग्रुप कंपनियों में शामिल हों या स्पॉन्सर कंपनियों में शामिल हों। सेबी ने अब इस नियम में राहत का प्रस्ताव दिया है।

प्रस्ताव के मुताबिक ग्रुप कंपनियों और स्पॉन्सर कंपनियों में नेट एसेट्स की 25 फीसदी सीमा के प्रतिबंध को हटाने का फैसला किया गया है यानि अब ईटीएफ और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड अपनी ग्रुप कंपनियों या स्पॉन्सर कंपनियों में बेंचमार्क इंडेक्स में उनकी हिस्सेदारी के अनुसार निवेश कर सकती है। इससे स्कीम बेंचमार्क इंडेक्स के प्रदर्शन के साथ सटीक प्रदर्शन कर सकेगी और निवेशकों को इंडेक्स के अनुसार ही रिटर्न हासिल होगा।

नियमों में ये छूट कारोबार में सुगमता का हिस्सा है जिसपर कंसल्टेशन पेपर जारी हुआ है। इस कदम से पैसिव फंड्स के निवेशकों को बेंचमार्क के अनुरूप ही रिटर्न मिलने की उम्मीद बढ़ेगी।

कमोडिटी के लिए अलग से फंड मैनेजर की शर्त में भी ढील

इसके अलावा सेबी ने गोल्ड, सिल्वर और अन्य कमोडिटी और विदेशी निवेश पर नजर रखने के लिए अलग से फंड मैनेजर रखने की जरूरत पर भी नरमी की है। दरअसल सेबी का मानना है कि मल्टी एसेट फंड्स में या फिर ऐसी स्कीम में जहां निवेश का कुछ हिस्सा विदेश में भी होता है, एक मुख्य फंड मैनेजर के अलावा इन एसेट्स के लिए अलग से फंड मैनेजर रखना लागत बढ़ाने वाला कदम साबित हो सकता है। वहीं फंड हाउस अपनी टीम में गोल्ड, सिल्वर या फिर विदेशी निवेश पर नजर रखने वाले रिसर्च एनालिस्ट भी रख सकते हैं जो इस तरह के निवेश पर अपनी नजर रख सकते हैं ऐसे में अलग से फंड मैनेजर रखने की जरूरत नहीं है।
 

jyoti choudhary

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