सेबी को फोन कॉल टैप करने का अधिकार देने की सिफारिश

punjabkesari.in Friday, Aug 10, 2018 - 11:20 AM (IST)

मुंबईः भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की एक समिति ने सुझाव दिया है कि भेदिया कारोबार और धोखाधड़ी के दूसरे तरीकों से निपटने के लिए बाजार नियामक को टेलीफोन तथा दूसरे संचार माध्यमों को टैप करने का अधिकार मांगना चाहिए। 

सेबी के पास अभी कॉल रिकॉर्ड का ब्योरा मांगने का अधिकार है। अगर समिति की सिफारिशों को लागू किया जाता है तो सेबी को कॉल सुनने का भी अधिकार मिल जाएगा। निष्पक्ष बाजार आचरण के बारे में पूर्व विधि सचिव टी के विश्वनाथन की अगुआई वाली इस समिति ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसे आज सार्वजनिक किया गया। समिति का कहना है कि सेबी को कॉल टैप करने का अधिकार मांगना चाहिए लेकिन इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए संबंधित कानूनों में जरूरी संशोधन किए जाने चाहिए। 

अलायंस लॉ के प्रबंध निदेशक आरएस लूना ने कहा कि पुलिस और सीबीआई जैसी संस्थाओं को पहले  से ही इस तरह के अधिकार हैं। उन्होंने कहा, ‘सफेदपोश अपराध भी गंभीर अपराधों के बराबर हैं। भेदिया कारोबार जैसे अपराधों को साबित करना बहुत मुश्किल है। मुझे लगता कि कुछ शर्तों के साथ सेबी को कॉल रिकॉर्ड करने का अधिकार दिया जाना चाहिए। किसी बड़े अधिकारी को कॉल रिकॉर्डिंग की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसका गलत इस्तेमाल न हो।’ हालांकि फिनसेक लॉ एडवाइजर्स के संस्थापक और सेबी के पूर्व कार्यकारी निदेशक संदीप पारेख ने कहा, ‘आप वित्तीय नियामकों को इस तरह का अधिकार नहीं दे सकते हैं। दुनिया में ऐसा कहीं भी नहीं है।’ 

समिति ने यह सिफारिश ऐसे वक्त की है जब निजता को लेकर देश में चर्चा गरम है। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल अगस्त में अपने फैसले में कहा था कि निजता मौलिक अधिकार है। समिति ने बेनामी खातों, भेदिया कारोबार और धोखाधड़ी के दूसरे तरीकों से निपटने के लिए भी सुझाव दिए हैं। धोखाधड़ी के मामले से बेहतर ढंग से निपटने के लिए मौजूदा नियमों में बदलाव की सिफारिश की गई है। समिति का कहना है कि धोखाधड़ी के नियम केवल मध्यवर्ती संस्थाओं (डिपॉजिटरी और ब्रोकर आदि) तक ही सीमित नहीं रहने चाहिए बल्कि उनके कर्मचारियों को भी इसके दायरे में लाया जाना चाहिए। समिति ने खातों में हेरफेर करने वालों से निपटने के लिए विशेष प्रावधान का सुझाव दिया है। 

भेदिया कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। इनमें दो अलग आचार संहिताएं बनाना शामिल है। इनमें से एक सूचीबद्घ कंपनियों के लिए होगी। दूसरी मध्यवर्ती संस्थाओं और संवेदनशील जानकारी को संभालने वाले लोगों के लिए मानक तय करेगी। समिति का कहना है कि कंपनियों को संवेदनशील जानकारी को संभालने वाले लोगों के करीबी रिश्तेदारों की जानकारी रखनी चाहिए। 
 


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jyoti choudhary

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