दरों में और कटौती की गुंजाइश: दास
Friday, Feb 15, 2019 - 02:19 PM (IST)
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि केंद्रीय बैंक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में नकदी की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने निकट भविष्य में परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि इस कदम से बाजार प्रभावित हो सकता है। दास ने गुरुवार को हॉन्गकॉन्ग में 60-70 विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की बैठक में कहा कि नकदी जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक कदम उठाने को तैयार है। सूत्रों के मुताबिक गवर्नर ने कहा कि पिछले एक साल में गैर निष्पादित परिसंपत्तियों की मात्रा में उल्लेखनीय कमी आई है और लगता है कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र का बुरा दौर खत्म हो चुका है।
बैठक में फिडेलिटी, टेम्पलटन, ब्लैकरॉक जैसे ऐसेट मैनेजर और कई हेज फंड तथा दबाव वाले परिसंपत्ति निवेशक शामिल थे। इससे पहले डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने पिछले महीने मुंबई में कई एफपीआई के साथ बैठक की थी। दास ने नीतिगत दरों में हाल में की गई कटौती को वाजिब ठहराते हुए कहा कि महंगाई में कमी और कई दूसरी वजहों से ऐसा किया गया। उन्होंने कहा कि अगर आंकड़े अनुकूल रहेंगे तो बैंक भविष्य में दरों में और कटौती से पीछे नहीं हटेगा। मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में सालाना खुदरा महंगाई 2.05 फीसदी बढ़ी जो जून 2017 के बाद सबसे कम है। जनवरी में थोक मूल्य महंगाई घटकर 2.76 फीसदी रह गई जो दिसंबर में 3.8 फीसदी थी।
गवर्नर ने निवेशकों को देश के अहम मानकों जैसे जीडीपी वृद्घि, महंगाई, राजकोषीय घाटे और चालू खाते के घाटे की भी जानकारी दी। उन्होंने विश्वास जताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से आठ फीसदी की वृद्घि दर हासिल करने में सक्षम है। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में गवर्नर एक बार फिर बैंकों और एनबीएफसी के प्रमुखों से मिल सकते हैं।
दास ने एफपीआई के लिए विभिन्न योजनाओं में निवेश के लिए नियमों और जरूरतों पर भी चर्चा की। पिछले सप्ताह आरबीआई ने एफपीआई के लिए नियमों में छूट की घोषणा की थी। एक सूत्र ने कहा कि केंद्रीय बैंक को चिंता है कि लगातार बदलने वाली पूंजी (हॉट मनी) से मुद्रा में अस्थिरता आ सकती है और वह दीर्घकालिक निवेशकों को तरजीह देना चाहता है। एफपीआई ने पिछले साल 46,500 करोड़ रुपए के ऋणपत्रों की बिकवाली की। इस दौरान रुपए की कीमत में डॉलर के मुकाबले 8.4 फीसदी की गिरावट आई और यह 69.77 के स्तर पर पहुंच गया।