SC ने MSTC को आम्रपाली समूह की कुर्क संपत्ति की नीलामी करने का आदेश दिया

Tuesday, Oct 15, 2019 - 12:19 PM (IST)

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी मेटल स्क्रैप ट्रेड कार्पोरेशन (एमएसटीसी) को आम्रपाली समूह की कंपनियों और उनके निदेशकों की कुर्क संपत्तियों की नीलामी करने का आदेश दिया है। एमएसटीसी से कहा गया है कि संपत्तियों की नीलामी से प्राप्त राशि को शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा किया जाए।

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कुर्क संपत्तियों की नीलामी से मिलने वाली राशि से बंद पड़ी आम्रपाली समूह की अटकी पड़ी आवासीय परियोजनाओं को जल्द पूरा करने में मदद मिलेगी। इससे परियोजनाओं में घर खरीदारों के विश्वास को बहाल किया जा सकेगा। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और यू यू ललित की पीठ ने इस संबंध में कोर्ट रिसीवर वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटरमण की आम्रपाली समूह की कुर्क की गई संपत्तियों की नीलामी किये जाने के सुझाव को स्वीकार कर लिया। 

शीर्ष अदालत ने कुर्क संपत्तियों से संबंधित दस्तावेजों को एमएसटीसी को उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए कहा कि कंपनी संपत्तियों की नीलामी कर प्राप्त राशि को उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में जमा कराएगी। कुर्क संपत्तियों के दस्तावेज कर्ज वसूली न्यायाधिकरण के पास हैं। शीर्ष अदालत ने ओडिशा राज्य आवास बोर्ड से भी कहा है कि वह 34 करोड़ रुपए उसकी रजिस्ट्री में जमा करा दे। यह राशि आम्रपाली समूह ने एक आवासीय परियोजना को विकसित करने के लिए बोर्ड के पास जमा कराई थी। 

न्यायालय ने कहा कि आम्रपाली समूह द्वारा जमा कराई गई राशि को जब्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह राशि घर खरीदारों की है जिसका रियल एस्टेट कंपनी ने दुरुपयोग करते हुए अन्यत्र इस्तेमाल किया। इसी प्रकार उच्चतम न्यायालय ने रायपुर विकास प्राधिकरण से भी कहा है कि वह भी 19 करोड़ रुपए शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा कराए। शीर्ष अदालत ने सुरेखा समूह द्वारा मकान खरीदारों के धन को जमा कराने के बारे में उसके आदेश का पालन नहीं किए जाने पर गहरी नाराजगी जताई और सुरेखा समूह के निदेशकों विष्णु सुरेखा, नवनीत सुरेखा और अखिल सुरेखा को निर्देश दिया कि यदि उन्होंने छह सप्ताह के भीतर रजिस्ट्री में 167 करोड़ रुपए जमा नहीं कराए तो वह दो दिसंबर को न्यायालय में उपस्थित रहें। 

उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में नोएडा प्राधिकरण को भी किसी तरह का अधिकार सृजित करने अथवा आम्रपाली हर्टबीट सिटी की जमीन को अलग करने से रोका है। इस जमीन के पट्टे को प्राधिकरण ने हाल ही में निरस्त किया है। न्यायालय ने आम्रपाली और अन्य की हर्टबीट सिटी परियोजना के बारे में फारेंसिक आडिटर्स की तीसरी रिपोर्ट को भी रिकॉर्ड पर लिया। इससे पहले 11 सितंबर को शीर्ष अदालत ने आम्रपाली समूह के घर खरीदारों को चेतावनी देते हुए कहा था कि बकाया चुकाने को लेकर उनकी अनिच्छा से वित्तीय तंगी के चलते अटकी पड़ी परियोजनाओं को बंद किया जा सकता है।

jyoti choudhary

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