SBI : मिनिमम बैलेंस पर जेब काटने वाले नियमों में हो सकते हैं बदलाव

Monday, Sep 18, 2017 - 06:17 PM (IST)

नई दिल्लीः सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर काटे जाने वाले शुल्क की भारतीय स्टेट बैंक समीक्षा कर रहा है। देश के इस दिग्गज बैंक ने जानकारी दी कि ग्राहकों की ओर से मिल रही प्रतिक्रियाओं के बाद खातों में मासिक औसत राशि बरकरार नहीं रखने पर लगने वाले चार्ज को लेकर एसबीआई समीक्षा करेगा।

बैंक के एमडी रजनीश कुमार ने कहा, ‘हमें इस संबंध में ग्राहकों की प्रतिक्रियाएं मिली हैं। इनकी समीक्षा की जा रही है। बैंक इन्हें ध्यान में रखते हुए कोई उचित फैसला लेगा। हम आंतरिक स्तर पर इस पर विचार कर रहे हैं कि क्या वरिष्ठ नागरिकों या छात्रों जैसी कुछ निश्चित श्रेणियों के लिए शुल्क में बदलाव किया जाना चाहिए या नहीं। एसबीआई ने पांच साल के अंतराल के बाद इस साल अप्रैल में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर फिर से शुल्क से लागू किया था। इसके तहत खाते में मासिक औसत मिनिमम बैलैंस नहीं रख पाने पर 100 रुपये तक शुल्क और ऊपर से 18 फीसद जीएसटी वसूलने का प्रावधान किया गया था। 

शहरी इलाकों में मिनिमम बैलेंस 5,000 रुपए तय किया गया। एेसे में बैलेंस 50 फीसद कम हो जाने पर 50 रुपए चार्ज के साथ जीएसटी लग रहा है। यह बैलेंस 75 प्रतिशत कम होने पर 100 रुपए और साथ में 18 फीसद जीसएटी वसूला जा रहा है। वहीं, ग्रामीण इलाकों के लिए मिनिमम बैलेंस 1000 रुपए तय है। इसे बरकरार नहीं रखने पर 20 से 50 रुपए और साथ में जीएसटी लग रहा है।

रजनीश ने कहा कि बैंक के पास 40 करोड़ से अधिक सेविंग अकाउंट हैं। इनमें से 13 करोड़ खाते बेसिक सेविंग डिपॉजिट या प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत हैं। इन दोनों तरह के खातों को मिनिमम बैलेंस के दायरे से बाहर रखा गया है। बाकी 27 करोड़ खाताधारकों में से 15 से 20 फीसद लोग न्यूनतम मासिक औसत राशि नहीं रखते हैं। बैंक ने मई के मिनिमम बैलेंस चार्ज के रूप में 235 करोड़ रुपये की वसूली की है।

उधर, सभी बैंक कर्मचारी संघों के शीर्ष संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से इस मामले में दखल देने की मांग की है, ताकि ग्राहकों पर थोपा गया यह शुल्क वापस लिया जा सके।

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